कर्नाटक चुनाव को लेकर कई एग्जिट पोल सामने आ गए हैं। ज्यादातर एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को बढ़त दिखाई गई है, कुछ में तो पार्टी को स्पष्ट बहुमत भी दिया गया है। बड़े एग्जिट पोल्स में सिर्फ दो ऐसे रहे जिन्होंने बीजेपी को बढ़त दिखाई, ऐसे में पार्टी के लिए असल नतीजों से पहले ही खतरे की घंटी बज गई है। अब असल नतीजे तो 13 मई को आने वाले हैं, लेकिन तमाम एग्जिट पोल्स कुछ ट्रेंड तो दिखा रहे हैं, बता रहे हैं कि कहां कौन सी पार्टी पास हुई और कहां उनसे चूक हो गई। आइए तमाम एग्जिट पोल से निकले संदेश को समझने की कोशिश करते हैं-

काम कर गया 40% कमीशन वाला दांव

कर्नाटक चुनाव में शुरुआत से ही कांग्रेस ने इस बार भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया। चुनावी मौसम में बीजेपी द्वारा अलग-अलग दांव चल मुद्दे बदलने का प्रयास कई बार किए गए, लेकिन कांग्रेस ने इस 40% कमीशन वाली सरकार के आरोप को पीछे नहीं छोड़ा और इसका फायदा पार्टी को होता दिख रहा है। बीजेपी के खिलाफ पहले से जो सत्ता विरोधी लहर थी, उसमें भ्रष्टाचार के इन आरोपों ने और ज्यादा गुस्से को बढ़ाने का काम किया।

बीजेपी के संकल्प पत्र पर भारी कांग्रेस की चुनावी गारंटी

कर्नाटक में कांग्रेस ने इस बार आम आदमी पार्टी मॉडल को पूरी शिद्दत के साथ फॉलो किया है। जिन वादों को आप ने पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भुनाया था, उन्हीं वादों को थोड़ा बहुत बदलकर कांग्रेस ने कर्नाटक में पेश किया और एग्जिट पोल के अनुमान बताते हैं कि जनता को ये पसंद आ गए हैं। पार्टी ने 2000 यूनिट मुफ्त बिजली से लेकर बेरोजगरी भत्ता देने तक की बात कही है। इसके अलावा हर घर की महिला मुख्या को महीने के 2000 रुपये देने का वादा भी हुआ है, इसके साथ गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों के लिए महीने का 10 किलो चावल मुफ्त देने की बात भी कही गई।

बीजेपी का बजरंग बली वाला दांव फेल

अगर एग्जिट पोल के नतीजे ही असल नतीजे भी निकलते हैं, तो ये मानना पड़ेगा कि बीजेपी का बजरंग दल वाला नेरेटिव कुछ खास फायदा देकर नहीं गया। टुडेज चाणक्य के एग्जिट पोल में तो 40 प्रतिशत लोगों ने भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा माना है. वहीं टाइम्स नाउ के एग्जिट पोल में 86 प्रतिशत लोगों ने दो टूक कहा कि उन्होंने बजरंग बली मुद्दे को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। वहीं एक्सिस माइ इंडिया का एग्जिट पोल तो बताता है कि कांग्रेस को जरूर बजरंग दल वाले मुद्दे का फायदा पहुंच गया है, मुस्लिम वोटरों ने एकमुश्त होकर पार्टी को वोट किया है। याद दिला दें कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बजरंग दल जैसे नफरत फैलाने वाले दलों पर बैन की बात कही थी। बीजेपी ने बजरंग दल को बजरंग बलि से जोड़कर कांग्रेस को घेरने का काम किया था।

जेडीएस बन सकती किंगमेकर, अपने गढ़ में हुई कमजोर

जेडीएस ने कर्नाटक चुनाव में किंग बनने की उम्मीद कभी नहीं रखी है, लेकिन किंगमेकर वो कई मौकों पर बन चुकी है। अब इस बार के जो एग्जिट पोल आए हैं, उनसे एक बार फिर ऐसा लगता है कि जेडीएस की किंगमेकर बनने की मुराद पूरी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुल 10 में से पांच एग्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान जताया गया है, उस स्थिति दोनों बीजेपी और कांग्रेस को जेडीएस का साथ लेना पड़ेगा। एग्जिट पोल जैसा ट्रेंड दिखा रहे हैं, उससे लगता है कि बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस को जेडीएस की मदद की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन ये मदद मिलना आसान नहीं रहने वाला क्योंकि चुनावी मौसम में दोनों ही पार्टियों ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर प्रचार किया है।

अब जेडीएस किंगमेकर बन तो सकती है, लेकिन इस बार पार्टी सियासी रूप से और ज्यादा कमजोर हो सकती है। ज्यादातर एग्जिट पोल बता रहे हैं कि कर्नाटक के ओल्ड मैसूर इलाके में जेडीएस को नुकसान उठाना पड़ सकता है, वहीं कांग्रेस इस क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करती दिख रही है। सी वोटर के सर्वे मुताबिक ओल्ड मैसूर की 55 सीटों में इस बार कांग्रेस 28-32 सीटें जीत सकती है, वहीं जेडीएस का आंकड़ा 19-23 पर सिमट सकता है। ये पूर्व पीएम देवगौड़ा का क्षेत्र माना जाता है और पूरे कर्नाटक में जेडीएस को भी सीटें मिलती हैं, उसका ज्यादातर हिस्सा इसी क्षेत्र से निकलता है।

ओबीसी वोटरों में कांग्रेस की सेंधमारी

पिछले कुछ सालों में मोदी सरकार ने ऐसी सियासत की है कि ओबीसी वोटबैंक के बीच में बीजेपी की स्थिति काफी मजबूत हुई। पिछले कर्नाटक चुनाव में भी ओबीसी वोटरों का बीजेपी को पूरा समर्थन मिला था। लेकिन इस बार कांग्रेस को जो बढ़त मिलती दिख रही है, कुछ एग्जिट पोल में तो उसे जो बंपर जीत मिल रही है, उसका क्रेडिट ओबीसी वोटरों का पार्टी के पाले में आना है। कई एग्जिट पोल के अनुमान बता रहे हैं कि इस बार बीजेपी के इस वोटबैंक में कांग्रेस ने सीधी सेंधमारी की है। टुडेज चाणक्यय के मुताबिक इस चुनाव कांग्रेस को भी 40 प्रतिशत के करीब ओबीसी वोटरों का समर्थन मिला है।

वैसे पिछले चुनाव में बीजेपी को अकेले ओबीसी का 50 प्रतिशत वोट मिला था और कांग्रेस काफी पीछे छूट गई थी। लेकिन इस बार एक तरफ बीजेपी के ओबीसी ग्राफ में कुछ गिरावट देखने को मिल रही है तो वहीं इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलता दिख रहा है।

हर जगह काम नहीं आता डबल इंजन दांव

बीजेपी ने पिछले कई चुनावों में एक नारा हर बार दोहराया है- डबल इंजन वाली सरकार। यूपी से लेकर त्रिपुरा तक पार्टी को इसका फायदा पहुंचा है, लेकिन इसकी एक शर्त रहती है। ये दांव तभी सफल रहता है जब राज्य सरकार की छवि भी उतनी ही सॉलिड रहे जितनी वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार की है। लेकिन बात जब कर्नाटक की आती है तो यहां तो बीजेपी ने पिछले तीन साल में दो बार अपना मुख्यमंत्री बदल दिया। बसवराज बोम्मई तो इतने लोकप्रिय भी नहीं बन पाए कि उनके चेहरे पर वोट मिल जाए। ऐसे में एग्जिट पोल का अनुमान बताता है कि लोगों ने इस बार डबल इंजन दांव पर ज्यादा भरोसा नहीं जताया है।

दक्षिण की राजनीति से बीजेपी का सफाया

अगर एग्जिट पोल ही एग्जैट पोल निकल जाते हैं, उस स्थिति में कर्नाटक से बीजेपी का जाना तय है और अगर ऐसा होता है तो ये दक्षिण की सियासत से बीजेपी का एग्जिट माना जाएगा। अभी इस समय बीजेपी सिर्फ कर्नाटक में ही सरकार चला रही है, बाकी दक्षिण के किसी भी राज्य में वो अपना विस्तार नहीं कर पाई है। इसी वजह से कर्नाटक में अगर हार होती है तो इसकी सियासी चुभन बीजेपी को कुछ ज्यादा ही रहने वाली है। अभी तक पार्टी केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पाई है, सिर्फ कर्नाटक इकलौता राज्य रहा जहां पर पार्टी ने दो बार सरकार बनाई है।

वैसे भी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी बीजेपी के लिए ये कर्नाटक चुनाव के नतीजे मायने रहने वाले हैं। कर्नाटक में पार्टी का प्रदर्शन दूसरे दक्षिण के राज्यों पर भी असर रखेगा और अगर हार होती है तो इसकी गूंज दूसरे राज्यों तक भी जाएगी।