कर्नाटक में कांग्रेस की हार पर पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। निवर्तमान ऊर्जा मंत्री डी. के. शिवकुमार ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर अति आत्मविश्वास का आरोप लगाते हुए मंगलवार (15 मई) को कहा कि उन्हें दो विधानसभा सीटों से चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दी गई थी, बावजूद इसके उन्होंने किसी की नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के मामले में भी कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दस फीसदी भी नहीं किया। शिवकुमार ने कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले तीन महीनों में यहां आकर और राज्य में चुनाव प्रचार कर अपना सर्वश्रेष्ठ दिया लेकिन यह स्थानीय नेताओं के लिए अच्छा संकेत नहीं है कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों का रुझान नहीं समझ सके।”
उन्होंने कहा कि दो जगह से चुनाव नहीं लड़ने की सलाह मिलने के बावजूद सिद्धारमैया ने बादामी और चामुंडेश्वरी विधानसभा से चुनाव लड़ा। उन्हें लगता था कि वे दोनों विधानसभाओं को अच्छी तरह जानते हैं। कांग्रेस नेता ने जोर दिया, “यह निर्णय उन्होंने लिया था क्योंकि वे विधानसभाओं को बेहतर समझते थे। हम अति आत्मविश्वास में थे। अंदरूनी रूप से हमने उन्हें सिर्फ एक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की सलाह दी थी।” डी के शिवकुमार नतीजों के बाद भी जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। उन्होंने अपने स्तर पर दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल किया है। इस लिहाज से जेडीएस-कांग्रेस और दो निर्दलियों को मिलाकर कुल 118 विधायकों का साथ इस गठबंधन के पास होने का दावा किया जा रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सिद्धारमैया अति आत्मविश्वास से भरे थे, उन्होंने कहा, “बिल्कुल..यह सिद्धारमैया का आत्मविश्वास ही था जिसने हमें इस स्तर पर ला (गिरा) दिया।” सिद्धारमैया को बादामी सीट से जीत हासिल हुई है, जबकि चामुंडेश्वरी से उन्हें हार मिली है। शिवकुमार ने मोदी लहर को नकारते हुए कहा, “उन्हें हमारी कमियों का फायदा मिला।” बता दें कि कर्नाटक में किसी भी एक दल को बहुमत नहीं मिला है। बीजेपी राज्य में 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि 78 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरी और 37 सीटों के साथ जेडीएस तीसरी पार्टी बनी है।