Karnataka Assembly Elections: कर्नाटक विधानसभा को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। दोनों के बीच इस लड़ाई में जेडीएस ( JD(S)) की लिए कोई आसान का सौदा नहीं है। साल 2018 में जेडीएस ने 37 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, लेकिन 2019 में ऑपरेशन लोटस की जद में आकर कुमारास्वामी की सरकर औंधे मुंह गिर गई थी, क्योंकि जेडीएस और कांग्रेस के कई विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। सरकार गिरने के बाद जेडीएस ने कांग्रेस से अपना नाता तोड़ लिया था।
1960 के दशक में देवगौड़ा ने राजनीति में एंट्री की
साल 2018 की तरह एक बार फिर साल 2023 में भी एच डी देवेगौड़ा की पार्टी कर्नाटक में अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है। देवगौड़ा ने साल 1960 के दशक में राजनीति में एंट्री की थी। अपने 51 साल के राजनीतिक कैरियर में देवगौड़ा मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक रहे है और उन्होंने खुद अपनी पार्टी बनाई।
देवेगौड़ा अभी भी दक्षिणी कर्नाटक के वोक्कालिगा काफी पसंद किए जाते हैं। देवगौड़ा के परिवार से आठ लोग सार्वजनिक जीवन में है, जो अलग-अलग क्षेत्रों में हैं। देवगौड़ा एक महीने बाद 90 साल के हो जाएंगे। जो यह बताने की लिए काफी है कि उन्हें राजनीतिक सीढ़ियों की अच्छी खासी समझ है। इन सबके बावजूद कर्नाटक की हसन विधानसभा सीट विवाद की स्थिति पैदा हो गई है। हसन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के तहत देवगौड़ा ने आठ में से छह बार इस सीट पर जीत दर्ज की है। यह सीट अब उनके पोते प्रज्वल रेवन्ना के पास है। निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता गौड़ा के बेटे एच डी कुमारस्वामी और उनकी भाभी भवानी रेवन्ना (रेवन्ना की पत्नी) के बीच लड़ाई से अच्छी तरह वाकिफ हैं, जिन्होंने सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी।
2018 में हासन विधानसभा सीट बीजेपी ने जीती
हासन विधानसभा सीट पर देवगौड़ा की अच्छी पकड़ मानी जाती है, लेकिन देवगौड़ा की पार्टी को साल 2018 में पहला झटका तब लगा, जब बीजेपी ने इस विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। हासन टिकट को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के परिवार के भीतर दरार मंगलवार को चौड़ी हो गई, जद (एस) नेता एच डी कुमारस्वामी ने महाकाव्य महाभारत में ‘कुरुक्षेत्र’ की लड़ाई का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि कुछ ‘शकुनी’ मेरे भाई एच डी रेवन्ना का ब्रेनवॉश करने की कोशिश कर रहे थे।
कुमारास्वामी बोले- कुछ शकुनि रेवन्ना को भ्रमित कर रहे
जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि कुछ ‘शकुनि’ उनके भाई रेवन्ना को पट्टी पढ़ाकर सीट हथियाना चाहते हैं। दुर्भाग्यवश, उनके पिता और पार्टी संरक्षक एचडी देवेगौड़ा भी इस मामले में अपने बड़े बेटे रेवन्ना को समझा नहीं पा रहे हैं।
कुमारस्वामी के मुताबिक, उन्होंने भवानी रेवन्ना को समझाने की बहुत कोशिश की कि उन्हें हासन विधानसभा सीट से टिकट नहीं दिया जाएगा। इस सीट से पार्टी के किसी पुराने और वफादार कार्यकर्ता को मौका दिया जाएगा. फिर भी वह मानने को तैयार नहीं हैं। बता दें कि भवानी रेवन्ना हासन जिला पंचायत की पूर्व सदस्य हैं। उन्हें अपने दोनों बेटों से भी समर्थन हासिल है। उनके बेटों में प्रज्वल रेवन्ना हासन से सांसद हैं, जबकि दूसरे बेटे सूरज रेवन्ना एमएलसी हैं।
कुमारस्वामी के अनुसार, उन्होंने डेढ़ साल पहले ही कहा था कि बीजेपी उम्मीदवार को हराने के लिए उनके परिवार से किसी को हासन सीट से प्रत्याशी बनाए जाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने दोहराया कि इस मामले में किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा और हर हाल में हासन सीट पर पार्टी के वफादार कार्यकर्ता को ही टिकट दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हासन में परिवार को तोड़ने के लिए कई शकुनि हैं। शकुनि मन को परेशान करते हैं। कुरुक्षेत्र का युद्ध क्यों हुआ? यह युद्ध शकुनि के कारण ही हुआ था. इस देश में हमेशा से ऐसी चीजें होती रही हैं।’
एचडी कुमारस्वामी ने ये भी साफ किया कि ये शकुनि कौन हैं। उन्होंने कहा कि शकुनि परिवार से नहीं हैं। ये दूसरे दलों से आए वो लोग हैं, जो हमारे प्रशंसक और शुभचिंतक होने का दम भरते हैं। इन शकुनियों ने सुबह से शाम तक हर दिन रेवन्ना और उनके परिवार के दिमाग में जहर भरा है।
कुमारस्वामी का स्पष्ट कारण कि वह परिवार को बढ़ावा देने के लिए जद (एस) पर हमलों से बचना चाहते है। राजनीति में पहले से ही परिवार के सदस्यों की संख्या को देखते कुमारास्वामी किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते। वहीं चन्नापटना से विधायक कुमारस्वामी जो फिर से चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी पत्नी अनीता, रामनगर क्षेत्र से विधायक, और उनके बेटे निखिल, जद (एस) युवा विंग के अध्यक्ष शामिल हैं, जो मांड्या से 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे। निखिल अपनी मां के निर्वाचन क्षेत्र रामनगर से चुनाव लड़ रहे हैं।
राज्यसभा सांसद हैं देवेगौड़ा
वहीं रेवन्ना के फैमिली में वो खुद होलेनरसीपुरा से विधायक हैं और वहां से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। भवानी जिन्हें विधानसभा का टिकट नहीं मिला है, वे हासन जिला पंचायत की सदस्य हैं। उनके एक बेटे प्रज्वल जो हासन लोकसभा से सांसद हैं, जबकि दूसरे बेटे सूरज एमएलसी हैं। जबकि देवगौड़ा खुद राज्यसभा सांसद हैं।
हासन सीट पर किसी तरह की कड़वाहट को इनकार करते हुए प्रज्वल ने कहा कि वे सभी एकजुट होकर काम करने के लिए तैयार हैं। टिकटों की लड़ाई एक बार घोषित होने के बाद समाप्त हो जाएगी। हम सभी आधिकारिक उम्मीदवार की जीत के लिए काम करेंगे।”
