लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवारों की एक और लिस्ट सामने आ चुकी है। उस लिस्ट में सबसे बड़ा नाम कन्हैया कुमार का है जिन्हें नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से कांग्रेस से चुनावी मैदान में उतार दिया है, वे बीजेपी के मनोज तिवारी के खिलाफ ताल ठोकने वाले हैं। अब कन्हैया कुमार जो पिछले काफी सालों से बिहार की राजनीति में ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहे थे, एक बार फिर राजधानी दिल्ली में उनकी वापसी हुई है। पिछले कई दिनों से ऐसी अटकालें लगाई जा रही थी कि कांग्रेस कन्हैया को एक बार दिल्ली की किसी सीट से मैदान में उतर सकती है, अब इस बात पर मोहर लग चुकी है और मनोज तिवारी के खिलाफ कन्हैया कुमार सियासी संघर्ष करने जा रहे हैं।

सभी के मन में इस समय ये सवाल चल रहा है कि आखिर कांग्रेस के इस दांव के पीछे की वजह क्या है, किस रणनीति के तहत कन्हैया कुमार को पहली बार दिल्ली की सीट से उतारने का फैसला हुआ है। अब यहां पर ये समझना जरूरी है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र जो है, वो यूपी से भी लगता है, यहां बिहार, हरियाणा से आए बड़ी संख्या में लोग रहते हैं। इस सीट पर पूर्वांचली वोटरों की संख्या भी निर्णायक है, इसी वजह से बीजेपी ने मनोज तिवारी को लगातार तीसरी बार यहां से चुनावी मैदान में उतारा है। 2014 और 2019 के चुनाव में उन्होंने बड़े अंतर से यहां से जीत दर्ज की थी।

समझने वाली बात ये है कि मनोज तिवारी एक बड़े पूर्वांचली चेहरे हैं और इसके साथ-साथ भोजपुरी सिनेमा की वजह से उनकी लोकप्रियता भी लोगों के बीच में काफी ज्यादा है। अब बीजेपी ने तो अपना दांव चल दिया था, लेकिन उस पर जोरदार पलटवार करते हुए इस बार बिहार के ही एक और मशहूर चेहरे कन्हैया कुमार को कांग्रेस ने मौका दिया है।

अब सिर्फ पूर्वांचल वोटरों की वजह से ही कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को यहां से नहीं उतारा है। समझने वाली बात ये भी है कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली ध्रुवीकरण के लिहाज से मायने रखती है। 2020 के दिल्ली दंगे जो हुए थे, उसकी नींव भी नॉर्थ ईस्ट में ही पड़ी थी। इसी क्षेत्र में सीलमपुर, मुस्तफाबाद, बाबरपुर और कारगिल नगर जैसे इलाके आते हैं जहां पर बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है। अब इंडिया गठबंधन वैसे भी एकमुश्त अंदाज में मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में चाहता है, ऐसे में कन्हैया के जरिए उस कोशिश को और ज्यादा बल मिल सकता है।

कन्हैया कुमार को नॉर्थ ईस्ट सीट से मौका देने का एक कारण ये भी है कि उनकी भाषण देने में कुशलता जबरदस्त है। जेएनयू में रहते हुए भी उनका हर नारा, उनका हर भाषण सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता था। युवाओं के बीच में उनकी लोकप्रियता सातवें आसमान पर थी। अब उसी लोकप्रियता को एक बार फिर भुनाने की कोशिश यहां पर दिख रही है। कांग्रेस ने एक लोकप्रिय चेहरे के सामने दूसरे लोकप्रिय चेहरे को उतार दिया है। वैसे भी कन्हैया कुमार की वजह से युवाओं को इंडिया गठबंधन रिझाने की पूरी कोशिश करेगा, उसके साथ-साथ उनकी आकांक्षाओं को भी कन्हैया के चेहरे के साथ जोड़ने का काम करेगा।