कैराना लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी नेताओं और मंत्रियों की ओर से अजीबोगरीब बयान आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब योगी आदित्यनाथ के एक मंत्री ने उपचुनावों में मिली हार के बचाव में विचित्र सफाई दी है। यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मामलों के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि भाजपा के समर्थक बच्चों के साथ गर्मी की छुट्टियां मनाने बहार चले गए, जिसके कारण उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए 28 मई को वोट डाले गए थे। राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी को दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। हार के बचाव में योगी के मंत्री लक्ष्मी नारायण ने कहा, ‘उपचुनाव और आम चुनाव में बहुत ज्यादा फर्क होता है। उपचुनाव के मुकाबले में आम चुनाव में ज्यादा लोग हिस्सा लेते हैं। बच्चों की गर्मी की छुट्टियां होने के कारण हमारे हमारे समर्थक और मतदाता बाहर घूमने-फिरने चले गए। इसलिए हमलोग दोनों सीट पर हार गए।’
There is a big difference between by polls & general elections as more people take part in the latter. Our supporters and voters had gone with their children for summer holidays so we lost those two seats(Kairana&Noorpur): Laxmi Narayan Chaudhary, UP Minister #BypollResults2018 pic.twitter.com/nqeFYxb8WI
— ANI UP (@ANINewsUP) June 1, 2018
उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में बीजेपी की लगातार हार हो रही है। मार्च में फूलपुर और गोरखपुर की सीटें गंवाने के बाद कैराना लोकसभा की सीट भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया था। भाजपा के लगातार बढ़ते प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए विपक्षी दल भी लामबंद हो गए थे। राष्ट्रीय लोकदल की प्रत्याशी तबस्सुम हसन को सपा और बसपा के साथ कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दे दिया था। तीनों बड़ी पार्टियों ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। वहीं, भाजपा ने अपने दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा था। बीजेपी को उम्मीद थी कि मृगांका को सहानुभूति वोट के साथ ही गुर्जर और जाट समुदाय का भी समर्थन मिलेगा। हालांकि, बीजेपी की यह रणनीति काम न आई और मृगांका 44 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हार गईं। फूलपुर और गोरखपुर उपचुनावों के दौरान भी विरोधी दल एकजुट हो गए थे। उत्तर प्रदेश की दो परंपरागत प्रतिद्वंद्वी दलों सपा और बसपा ने हाथ मिला लिया था। लिहाजा, दोनों लोकसभा सीटें भाजपा के हाथ से फिसल गई थी। कैराना और नूरपुर में भी विपक्षी दलों ने इसी फॉर्मूले पर अमल किया।