राजमहल लोकसभा सीट पर भाजपा का कमल 1998 और 2009 दो बार ही खिल पाया है। तीसरी दफा कमल खिलाने के लिए पार्टी लगातार मशक्कत कर रही है। इस बार भाजपा ने बोरियो से अपने विधायक ताला मरांडी को चुनावी जंग में उतारा है। इनका मुकाबला दो दफा 2014 और 2019 के निवर्तमान सांसद झामुमो के विजय हांसदा से है।
झामुमो ने फिर इन्हीं पर भरोसा जताया है। 2014 और 2019 चुनाव में इन्होंने भाजपा के हेमलाल मुर्मू को क्रम से 41 हजार और एक लाख मतों से हराया था। झामुमो ने राजमहल सीट पर पांच दफा बाजी मारी है। 1989, 1991, 2004, 2014 और 2019। वहीं 1957 से 1967 और 1980, 1984 पांच दफा कांग्रेस को विजयश्री मिली।
वैसे 1998 में भाजपा के सोम मरांडी ने कांग्रेस के थामस हांसदा को मात्र नौ मतों से पराजित कर सबसे कम मतों से जीतने का रेकार्ड कायम किया था। 2009 में भाजपा के देवधन बेसरा जीते थे। राजमहल संसदीय सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है। इन इलाकों में अब बिठलाहा जैसी वारदात नहीं होती है। बिठलाहा आदिवासी युवतियों के साथ दुष्कर्म के खिलाफ संथाल आदिवासी करते हैं। पहले इस तरह की घटनाएं होती थी, लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी संथाल आदिवासियों का जीवन स्तर नहीं बदला है। आदिवासी के नाम पर मुठ्ठीभर लोग ही फायदा उठाते हैं। नेताओं की फौज चुनाव के बाद इन पिछड़े इलाके में नजर नहीं आते।
विभिन्न वर्गों के मतदाताओं के बीच अपार उत्साह : निर्वाचन आयोग
निर्वाचन आयोग ने बुधवार को कहा कि लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों, ट्रांसजेंडर और विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों के सदस्यों जैसे विभिन्न वर्गों के मतदाताओं के बीच अपार उत्साह देखा गया है। आयोग ने कहा कि 85 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों और 40 फीसद तक विकलांगता वाले दिव्यांगों के लिए इस संसदीय चुनावों में पहली बार अखिल भारतीय स्तर पर घरों में मतदान की सुविधा का विस्तार किया गया।
निर्वाचन आयोग की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर नए मानक स्थापित करते हुए चुनावी प्रक्रियाओं में निरंतर सुधार के लिए प्रयास करना आयोग का गहरा संकल्प रहा है।’ कुमार ने कहा कि निर्वाचन आयोग देश की गौरवशाली बहुलता और विविधता की भावना को सही मायने में प्रतिबिंबित करने के लिए प्रतिबद्ध है।