लोकसभा चुनाव को देखते हुए कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत का दौर जारी है। जेडीएस सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस पर कुछ ज्यादा ही दबाव बना रही है। लेकिन, कांग्रेस भी स्थिति को भांपते हुए अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है। दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों का आंकलन करें तो कर्नाटक की कुल 28 लोकसभा सीटों पर जेडीएस की हालत ठीक नहीं है। लेकिन, अगर वह कांग्रेस के साथ आती है तो स्थिति काफी मजबूत हो सकती है। क्योंकि, 2014 लोकसभा चुनाव में जेडीएस ने 26 लोकसभा सीटों पर प्रदर्शन के मामले में कांग्रेस के ठीक पीछे थी। 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कर्नाटक से सर्वाधिक 17 सीटें मिली थीं। जबकि, कांग्रेस को 9 और तीसरे नंबर पर जेडीएस को 2 सीटें हाथ लगी थीं।

बुधवार को नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ पार्टी के मुखिया और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने बैठक की। बैठक में हालांकि जेडीएस ने अपनी 12 सीटों की मांग को कम करते हुए 10 की डिमांड रखी। इस दौरान जेडीएस ने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर औपचारिक घोषणा 10 मार्च तक की जाएगी। जानकारी के मुताबिक जेडीएस 2014 में जीती हुई सीटें मांड्या और हसन सीट पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है। इनमें से हसन सीट से खुद देवगौड़ा चुनाव लड़ते हैं और यह क्षेत्र जेडीएस का सबसे मजबूत किला माना जाता है। जबकि, मांड्या सीट से देवगौड़ा अपने पोते निखिल को चुनाव लड़ाने का इशारा कर चुके हैं। निखिल देवगौड़ा के बेटे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे हैं।

एचडी देवगौड़ा के प्रस्ताव पर हालांकि कांग्रेस खुश नहीं है। कांग्रेस किसी भी सूरत में अपनी वर्तमान विजयी सीटों पर समझौता नहीं करना चाहती है। उसने 9 सीटों को जेडीएस के खाते में डालने से साफ इनकार कर दिया है। गौरतलब है कि कांग्रेस की 9 में से चार सीटें चित्रदुर्गा, तुमकूर, बेंगलुरू देहात और चिकबालापुर पुराने मैसूर क्षेत्र में पड़ते हैं और यहां जेडीएस की पकड़ मानी जाती है। क्योंकि, यह क्षेत्र वोक्कालिगा समुदाय का प्रभाव वाला है और देवगौड़ा इसी समुदाय से संबंध रखते हैं। हालांकि, बंगलौर देहात सीट से वोक्कालिगा समुदाय के ही कांग्रेस उम्मीदवार डीके सुरेश ने 2014 में जीत हासिल की थी। 2009 में यह सीट जेडीएस के पास थी। लेकिन, सुरेश ने 2013 के उपचुनाव में उनकी पत्नी अनिता कुमार स्वामी को शिकस्त दे दिया। लिहाजा जेडीएस अब इस सीट के बजाय बगलौर (उत्तर) से सीट चाहती है।

जेडीएस बंगलौर उत्तर के अलावा रायचूर और बिदर से भी चुनाव लड़ने की इच्छा जता रही है। लेकिन, कांग्रेस इन सीटों को किसी भी सूरत में देना नहीं चाहती है। इसके अलावा उडुपी चिकमंगलूर और उत्तर कर्नाटक के क्षेत्र में जेडीएस की मौजूदगी ना के बराबर है। ऐसे में वह उन्हीं सीटों की डिमांड कर रही है जहां वह आसानी से जीत सके।