जम्मू और कश्मीर में इस बार का नगर निकाय चुनाव कम मतदान प्रतिशत की वजह से भी चर्चा में रहा। आलम यह था कि बारामुला में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का उम्मीदवार बस एक वोट पाकर जीत गया, जबकि घाटी में एक जगह केवल तीन वोट पड़ने के बाद भी प्रत्याशी को जीत हासिल हुई। वहीं, श्रीनगर में एक वॉर्ड में कोई बाजी नहीं मार पाया। पर सबसे हैरत की बात है कि यहां पर चुनावी मैदान में उतरे तीनों उम्मीदवारों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया।
आपको बता दें कि राज्य में 13 साल बाद नगर निकाय चुनाव हुए हैं, जिनके परिणाम शनिवार (20 अक्टूबर) शाम जारी हुए। 211 वॉर्डों में जीत के साथ बीजेपी जम्मू क्षेत्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि कश्मीर घाटी में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया। पार्टी को यहां 79 (सबसे अधिक) सीटें हासिल हुईं। वहीं, 75 सीटों के साथ बीजेपी दूसरे नंबर पर रही। चार चरणों में यहां 79 शहरी निकायों के लिए मतदान कराया गया था, जिसमें 1145 वॉर्ड्स में लगभग 3372 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे।
चुनाव परिणाम में ताजा मतदान फीसद से जुड़ा आंकड़ा बताता है कि साल 1951 के बाद घाटी में इस बार सबसे कम वोटिंग (4.27 फीसदी किसी भी चुनाव में) हुई। वैसे इस मामले में अभी तक साल 1989 का निकाय चुनाव सबसे खराब माना जाता था। उस साल लोकसभा चुनावमों बारामुला और अनंतनाग संसदीय सीटों पर तब सिर्फ 5.18 फीसदी वोटिंग हुई थी।
गौरतलब है निकाय चुनाव में इस बार काफी कम मतदान हुआ। पहले चरण में आठ अक्टूबर को 8.3 वोटिंग हुई थी। दूसरे चरण में 10 अक्टूबर को 3.4 फीसद वोट पड़े, जबकि 13 अक्टूबर को तीसरे चरण के मतदान में 3.49 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। वहीं, चौथे और आखिरी चरण में 4.2 प्रतिशत वोटिंग हुई। यानी 2018 के जम्मू-कश्मीर निकाय चुनावों में कुल मतदान प्रतिशत 35.1 फीसदी रहा।