अगर आपको पता लगे कि एक पोलिंग बूथ ऐसा भी है जहां एक भी वोटर नहीं है तो आप भी जरूर कहेंगे कि ऐसे बूथ की जरूरत ही क्या है ? दरअसल छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के केते में एक ऐसा मतदान केन्द्र हैं, जहां एक भी वोटर नहीं है। लेकिन इसके बावजूद ये निवार्चन आयोग की लिस्ट में शामिल है।

आखिर क्या है वजह
90 विधानसभी सीटों के 23 हजार मतदान केन्द्रो को मिला दे तो ये अकेला ऐसा वोटिंग बूथ है जहां एक भी वोटर नहीं है। वो इसलिए क्योंकि इसे लिस्ट से हटाने पर बाकी सभी मतदान केंद्रों के नंबर बदल जाएंगे और ऐसा करने पर मतदाताओं को दिक्कत होगी और साथ ही साथ फिर से प्लानिंग करने पर आयोग का खर्चा बढ़ जाता। बता दें कि इस केन्द्र के अंतर्गत केते खसोटीपारा, महादेव पारा, पटेलपारा, बैगापारा और हर्रापारा के वोटर आते थे लेकिन मतदान केंद्रों के युक्तियुक्तकरण के बाद अब एक भी वोटर नहीं बचा है।

दो वोटर, चार कर्मचारी
प्रदेश के कोरिया के विधानसभा क्षेत्र भरतपुर सोनहत के मतदान केंद्र सेराडांड और कांटो में वोटरों की संख्या मतदान दल और सुरक्षा बलों से भी कम है। यहां दो वोटर हैं जबकि चार कर्मचारी जिसमें सुरक्षाकर्मी भी शामिल होते हैं। वहीं रायपुर के उत्तर विधानसभा के वोटिंग बूथ नंबर 156 में 46 वोटर हैं। बता दें कि रायपुर शहर की चारों विधानसभाओं में सबसे कम 46 वोटर सिर्फ इस ही वोटिंग बूथ में हैं। गौरतलब है कि उत्तर वन मंडल में बने वोटिंग बूथ में राजा तालाब के शिव मंदिर, आदर्श चौक क्षेत्र और आसपास के इलाके के मतदाता यहां वोटिंग के लिए आएंगे।

वेब कास्टिंग से रखी जाएगी बूथों पर नजर
बता दें 19 हजार से अधिक पोलिंग बूथो पर वेबकास्टिंग से नजर रखी जाएगी। इलेक्शन कमीशन के अफसर दिल्ली और निर्वातन पदाधिकारी कार्यालय में इन बूथों में चल रही वोटिंग की प्रक्रिया का लाइव आउटपुट देख सकेंगे। गौरतलब है कि पहले दौर के मतदान के दौरान 252 बूथों पर इस तरह के इंतजाम किए गए थे। इसके साथ ही वोटिंग बूथों पर कितनी भीड़ है, इसका अपडेट भी एक लिंक के जरिए देखने को मिलेगा।

850 से ज्यादा इंजीनियरों की फौज
नक्सल आंतक के मद्देनजर आयोग ने सुरक्षा को लेकर तगड़े इंतजाम किए हैं और दूसरे चरण की 72 सीटों पर तकनीकी गड़बड़ी को रोकने के लिए हैदराबाद की इलेक्ट्रानिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के 850 से अधिक इंजीनियरो की टीम मौजूद रहेगी। गौरतलब है कि इस बार थर्ड जनरेशन यानी एम-थ्री मशीनों के जरिए चुनाव हो रहा है। जिसमें पहली बार करीब एक दर्जन किस्म के सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप का इस्तेमाल किया गया है।