आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन ने अभी तक तीन बड़ी बैठकें कर ली हैं, पटना से शुरू हुआ वो सफर बेंगलुरु और फिर मुंबई तक जा चुका है। लेकिन अभी भी कई मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। यहां भी सबसे बड़ा मुद्दा तो सीट शेयरिंग का चल रहा है जिसे लेकर चर्चा हर बैठक में हुई है, अब तो एक कमेटी का गठन भी हो चुका है, लेकिन जमीन पर कोई तेजी देखने को नहीं मिल रही। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो इस देरी को लेकर सीधे-सीधे कांग्रेस को जिम्मेदार बता दिया था। दूसरे दलों ने भी कांग्रेस पर ही ठीकरा फोड़ने का काम किया है।
कांग्रेस का बड़ा प्लान डीकोड
अब तमाम विपक्षी दल इस समय कांग्रेस को अपने निशाने पर जरूर ले रहे हैं, लेकिन जानकार मानते हैं कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के मन में कुछ अलग ही चल रहा है। सीट शेयरिंग को लेकर हो रही देरी कोई सहमति की कमी या अनबन की वजह से नहीं है, बल्कि कांग्रेस की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। असल में शुरुआत से ही इंडिया गठबंधन में कांग्रेस खुद को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में दिखाना चाहती है। उन्हीं की पार्टी के नेता राहुल गांधी पीएम दावेदार रहें, इसे लेकर भी लगातार प्रयास किए जाते हैं।
पांच राज्यों का प्रदर्शन, 2024 का रास्ता
अब कांग्रेस के इन प्रयासों को असल उड़ान तब मिलेगी जब वो जमीन पर कुछ साबित कर पाएगी। साबित करना पड़ेगा कि कांग्रेस ही बीजेपी से मुकाबला कर सकती है। साबित करना पड़ेगा कि पीएम नरेंद्र मोदी के आक्रमक प्रचार के सामने कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग सबसे तगड़ी है। साबित करना पड़ेगा कि अभी भी जमीन पर कांग्रेस का संगठन काफी मजबूत है। अब ये सब तभी संभव होने वाला है जब कांग्रेस पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करें।
इस समय कुछ ही घंटों में देश के सामने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के चुनावी नतीजे आने वाले हैं। इन सभी राज्यों में कांग्रेस सरकार बनाने की दावेदार है, वहां भी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो उसका सीधा मुकाबला बीजेपी से चल रहा है। ऐसे में अगर इन राज्यों में कांग्रेस बड़ी जीत दर्ज करने में सफल हो जाती है, उसकी बारगेनिंग पावर बढ़ना तय है और उस स्थिति में वो आसानी से इंडिया गठबंधन के सामने ज्यादा सीटों की डिमांड रख सकती है।
सपा-जेडीयू का नाराज कर रखी है कांग्रेस
वैसे भी चुनावी जीतों के बाद किसी भी पार्टी के पक्ष में कुछ समय के लिए ही सही, एक हवा बन जाती है। माना जा रहा है कि कांग्रेस भी उसी हवा का इस्तेमाल अपनी पार्टी के विस्तार के लिए करना चाहती है। ये अलग बात है कि कांग्रेस का ये सपना तभी पूरा हो पाएगा जब उसे इन पांच राज्यों में उम्मीद के मुताबिक नतीजे मिलेंगे। वैसे भी कांग्रेस ने इन पांच राज्यों के चुनाव में अपने इंडिया गठबंधन के साथियों को खासा नाराज कर दिया है।
मध्य प्रदेश में दोनों समाजवादी पार्टी और जेडीयू कुछ सीटों की उम्मीद लगाए बैठी थीं। लेकिन कांग्रेस ने किसी को भी एक सीट नहीं छोड़ी, ऐसे में अब और बेहतर प्रदर्शन कर अपनी अहमियत समझाना कांग्रेस के लिए जरूरी हो गया है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को ही दूसरे दलों के सामने झुकना भी पड़ेगा और कई डिपार्टमेंट में समझौता भी होगा। वैसे कांग्रेस ऐसी स्थिति कुछ महीने पहले देख चुकी है जब राहुल गांधी मोदी सरनेम मामले की वजह से पीएम रेस से ही बाहर हो गए थे और कांग्रेस के सामने दूसरे विकल्पों पर सहमति देने के सिवाए कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था।
लेकिन अब जब राहुल गांधी की पिच क्लियर है, ऐसे में सीधे-सीधे इन पांच राज्यों में शानदार प्रदर्शन कर कांग्रेस अपनी स्थिति को और ज्यादा मजबूत करना चाहती है। अगर ऐसा हो गया तो आगामी लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का चेहरा कांग्रेस ही रहेगी और फिर मुकाबला राहुल गांधी बनाम पीएम नरेंद्र मोदी बन सकता है।