उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी अच्छा परिणाम रहा। इन चुनावों को 2024 लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल माना जा रहा है, जिसके लिए भाजपा ने खास सियासी प्रयोग करते हुए 395 मुस्लिम कैंडिडेट्स को टिकट दिया। नगर निकाय चुनाव में बंपर जीत से भाजपा में खुशी का मौहाल है। इस बीच, राम नगरी अयोध्या के हिंदू बुहल वार्ड में पार्षद का चुनाव जीतने के बाद एक मुस्लिम युवक सुल्तान अंसारी चर्चाओं में हैं। वहीं, अयोध्या के महापौर का चुनाव भाजपा उम्मीदवार ने जीता है।
राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के नायक-महंत राम अभिराम दास के नाम पर इस वार्ड का नाम रखा गया है। सुल्तान अंसारी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर यह चुनाव जीतकर सबको चौंका दिया है। सबको अंसारी की जीत पर ज्यादा अचंभा इसलिए भी हो रहा है कि यहां 3844 हिंदू मतदाता हैं, वहीं मुस्लिम वोटर्स की बात करें, तो उनकी संख्या 440 है। अंसारी ने 42 फीसद वोट जीतकर एक निर्दलीय हिंदू उम्मीदवार नागेंद्र मांझी को हराया है। इस चुनाव में 10 उम्मीदवार मैदान में थे। कुल पड़े 2388 वोटों में से सुल्तान को कुल 996 वोट मिले हैं, जबकि नागेंद्र मांझी को सिर्फ 442 मत हासिल हुए। वहीं, भाजपा तीसरे नंबर पर थी।
अंसारी ने पहली बार चुनाव में किस्मत आजमाई थी। पीटीआई के मुताबिक, अंसारी ने कहा, “यह अयोध्या में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और दोनों समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का सबसे अच्छा उदाहरण है। उन्होंने मेरा समर्थन किया और मेरी जीत सुनिश्चित की।” जब उनसे पूछा गया कि क्या हिंदू बहुल क्षेत्र से चुनाव लड़ने में कोई हिचकिचाहट थी, तो उन्होंने जवाब दिया, “मैं इस क्षेत्र का निवासी हूं और मेरी जानकारी के अनुसार मेरे पूर्वज यहां 200 से अधिक सालों से रह रहे थे। जब मैंने अपनी इच्छा प्रकट की तो मेरे हिंदू दोस्तों ने पूरे दिल से मेरा समर्थन किया और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।”
वार्ड के स्थानीय निवासी अनूप कुमार ने अंसारी की जीत पर कहा, “अयोध्या को बाहर से देखने वाले सोचते हैं कि अयोध्या में कोई मुसलमान कैसे हो सकता है, लेकिन अब वे देख सकते हैं, अयोध्या में मुस्लिम न केवल मौजूद है बल्कि चुनाव जीत भी सकता है।” राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के नायक-महंत राम अभिराम दास को दिसंबर 1949 में बाबरी परिसर में रामलला की मूर्ति रखने के लिए जाना जाता है, जिसके कुछ दिनों बाद मस्जिद को बंद कर दिया गया था और 1986 में इसके खुलने के बाद से आज तक उसी मूर्ति की राम जन्मभूमि में पूजा की जा रही है।