राजस्थान में 7 दिसंबर को चुनाव है ऐसे में हर पार्टी और प्रत्याशी जीत के लिए एड़ी चोटी का दम लगा रहे हैं। ऐसे में आपको बताते हैं कि एक दौर था जब प्रदेश में जनता पार्टी या जनता दल सहित अन्य छोटे दल तीसरे मोर्चे के रूप में देखे जाते थे। लेकिन पिछले 25 साल से राजनीति में थर्ड फ्रंट अस्तित्व में न आने से निर्दलीय ही इस स्थान को भरते आ रहे हैं क्योंकि जब जब छोटे दलों को तीसरा मोर्चा खड़े करने का मौका मिला तो वो निर्दलियों के सामने फीके ही दिखे।
क्या हुआ नतीजा
नतीजन ये हुआ कि हर चुनाव परिणाम के बाद यो तो ये छोटे दल बड़ों के साथ जा मिले या फिर अगले चुनाव तक अस्तितव के संघर्ष में ही लगे रहे। वर्ष 1993 के विधानसभा चुनावों में जनता दल के कमजोर पड़ने के बाद प्रदेश में तीसरे मोर्चे के रूप में आज तक कोई नहीं टिक पाया है।हालांकि बसपा-सपा ने संघर्ष जरूर किया लेकिन सिर्फ हार का ही स्वाद चखा।
मोदी लहर का दिखा असर
वैसे तो मोदी लहर के चलते भाजपा को दो तिहाई बहुमत मिला। लेकिन तीसरा मोर्चा खड़े करने का दम भरने वाले राजपा (एनपीपी) के तत्कालीन मुखिया किरोड़ी मीणा भाजपा के साथ जा मिले।
क्या कहते हैं आंकड़े
2008 विधानसभा चुनाव
कुल मतदान: 2,40,93,721
कुल मतदान प्रतिशत: 66.5%
कांग्रेस: 96 सीटें (36.8 प्रतिशट वोट)
भाजपा: 78 सीटें (34.3 प्रतिशट वोट)
निर्दलीय: 14 सीटें (15 प्रतिशट वोट)
बसपा: 06 सीटें (7.6 प्रतिशट वोट)
सीपीएम: 03 सीटें (1.6 प्रतिशट वोट)
एसपी: 01 सीटें (0.8 प्रतिशट वोट)
जद(यू): 01 सीटें (0.4 प्रतिशट वोट)
अन्य: 2.6 प्रतिशट वोट जबकि 14 निर्दलीय विजय हुए।
2013 विधानसभा चुनाव
कुल मतदान: 3,02,70,703
कुल मतदान प्रतिशत: 74.3%
भाजपा: 163 सीटें (46 प्रतिशट वोट)
कांग्रेस: 21 सीटें (33.7 प्रतिशट वोट)
निर्दलीय: 07 सीटें (8.4 प्रतिशट वोट)
एनपीपी: 04 सीटें (4.3 प्रतिशट वोट)
बसपा: 03 सीटें (3.4 प्रतिशट वोट)
जमींदारा: 02 सीटें (1.0 प्रतिशट वोट)
अन्य: 3.2 प्रतिशट वोट जबकि 09 निर्दलीय तीसरे पायदान पर रहे। वहीं अन्य दलों ने निर्दलीयों से ज्यादा 09 सीटें हासिल की।
गौरतलब है कि 200 सीटों के लिए राजस्थान में कुल 2294 प्रत्याशी मैदान में हैं। प्रदेश में 7 दिसंबर को वोटिंग होगी जबकि 11 दिसंबर को नतीजे सबके सामने होंगे।

