Lok Sabha Elections 2024: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में आने के बाद जम्मू और कश्मीर को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया था। केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। इसके बाद इस केंद्र शासित प्रदेश में पहली बार जनरल इलेक्शन होंगे। आगामी लोकसभा चुनाव में सभी की निगाहें जम्मू कश्मीर पर टिकी हुई हैं। अब देखना यह होगा कि इस बार लोकसभा इलेक्शन में कौन सी पार्टी बाजी मारती है और यह चुनाव पहले से किस तरह से अलग होगा।

जम्मू-कश्मीर में कब होगी वोटिंग

अब बात की जाए जम्मू कश्मीर में इलेक्शन की तो यहां पर चुनाव फर्स्ट हाफ में होते रहे हैं। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव के बाद सियासी परिदृश्य में काफी बदलाव देखने को मिला है। केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव अप्रैल या मई के महीने में हो सकता है। हालांकि, अभी तक भारतीय चुनाव आयोग की तरफ से तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है। ईसीआई की मुहर लगने के बाद ही तारीख क्लियर हो सकेगी।

जम्मू-कश्मीर में कितनी लोकसभा सीटें है

साल 2019 के लोकसभा चुनावों में छह लोकसभा सीटें होती थी और जब चुनाव कराए गए थे तो भी यही स्थिति बरकरार रही थी। लेकिन मोदी सरकार के द्वारा आर्टिकल 370 हटाने के बाद से जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया था और सीटों की संख्या केवल पांच ही रह गई। बता दें कि लद्दाख भी पहले जम्मू कश्मीर का ही हिस्सा हुआ करता था। अब वहां पर एक सीट पर अलग चुनाव होंगे। पिछले चुनाव में JKNC ने तीन और भारतीय जनता पार्टी ने तीन सीटों पर बाजी मारी थी।

पिछले इलेक्शन में यहां से कौन जीता

साल 2019 लोकसभा इलेक्शन में बीजेपी और जेकेएनसी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। तीन सीटों पर बीजेपी और तीन सीटों पर जेकेएनसी ने कब्जा जमाया था। इसमें बारामूला से जेकेएनसी के मोहम्मद अकबर लोन जीते। वहीं, श्रीनगर से फारूक अब्दुल्ला ने जीत दर्ज की। अनंतनाग ने हसनैन मसूदी को चुना था। बीजेपी के उम्मीदवार जामयांग सेरिंग नामग्याल ने लद्दाख से जीत दर्ज की। उधमपुर से बीजेपी कैंडिडेट जितेंद्र सिंह जीते। जम्मू से बीजेपी प्रत्याशी जुगल किशोर शर्मा को लोगों ने चुना।

इन सीटों का राजनीतिक इतिहास

बारामूला: जम्मू-कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट से जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस नेता मोहम्मद अकबर लोन ने जीत हासिल की थी। लोन ने जम्मू और कश्मीर पीपुल कांफ्रेंस के रजा एजजा अली को 30, 758 वोटों के अंतर से भारी शिकस्त दी थी। बारामूला लोकसभा सीट जनरल कैटेगरी के लिए रिजवर्ड है। बता दें कि यह एक ग्रामीण संसदीय क्षेत्र है जहां साक्षरता दर 63.11 फीसदी के आसपास है। 2014 के डेटा के मुताबिक यहां 6,24,014 पुरुष और 5,66,724 महिलाएं वोटर हैं। 28 मतदाता अन्य अथवा थर्ड जेंडर हैं। यहां एससी कैटेगरी की आबादी 0.13 फीसदी के लगभग है और अनुसूचित जनजाति 8.03 फीसदी के करीब है।

इस लोकसभा सीट पर फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल फॉन्फ्रेंस की जबरदस्त पकड़ बनी हुई है। 1957 से लेकर साल 2019 तक एनसी का इस सीट पर दबदबा रहा है। 1957, 67 और 71 में कांग्रेस पार्टी ने यहां से बाजी मारी थी। इसके बाद 1977, 1980, 1984,1989, 1998, 1999, 2004, 2009 में नेशनल कांफ्रेंस यहां से जीती। जेकेएनपीपी के शरीफुद्दीन शारिक 2009 में यहां से जीतकर संसद पहुंचे थे।

श्रीनगर: श्रीनगर शहर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। झीलों और हाउसबोट के लिए जाना जाता है। परंपरागत कश्मीरी हस्तशिल्प और सूखे मेवों के लिए जाना जाता है। साल 2019 के लोकसभा इलेक्शन में नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने पीडीपी के सैयद मोहसिन को 70,050 वोटों से हरा दिया था। बता दें कि, 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तारिक हमीद कर्रा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला को करारी शिकस्त दी थी। वह 2017 के उपचुनाव में दोबारा से जीत गए थे। 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी की हत्या के बाद भड़की हिंसा के दौरान लोगों पर हुए कथित अत्याचार के विरोध में हामिद कर्रा ने रिजाइन कर दिया था। इसके बाद उपचुनाव में एनसी के फारूक अब्दुल्ला जीत गए।

श्रीनगर की यह सीट साल 1967 में पहली बार अस्तित्व में आई थी। 1967 के लोकसभा चुनाव में एनसी के बख्शी गुलाम मोहम्मद ने जीत दर्ज की थी। हालांकि, 1971 में यह बाजी पलट गई थी। श्रीनगर लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार एसए शमीन ने जीत हासिल की। इसके बाद फिर से चार बार के लिए यह सीट नेशनल कॉन्फ्रेंस के खाते में आ गई। 1997 में बेगम अकबर सांसद बनी थी।

अनंतनाग सीट: अनंतनाग लोकसभा इलेक्शन भी काफी रोचक रहा था। यहां पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के हसनैन मसूदी ने राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को पटखनी दी थी और सीट अपने कब्जे में कर ली थी। अनंतनाग लोकसभा सीट से एनसी के हसनैन मसूदी ने कांग्रेस के गुलाम अहमद मीर को 6676 वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी थी। वहीं, इस कड़े मुकाबले में पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती तीसरे नंबर पर रहीं।

बता दें कि अनंतनाग की लोकसभा सीट साल 1967 में अस्तित्व में आई थी। शुरुआती सालों में यहा सें कांग्रेस के मोहम्मद शफी ने चुनावों में जीत दर्ज की थी। बाद में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस के बीच बदलती रही। 1998 में कांग्रेस के मुफ्ती मोहम्मद सईद जीते थे। 1999 में यह सीट फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस के खाते में आ गई थी। 2004 में इस सीट से महबूबा मुफ्ती ने बाजी मारी थी। वहीं, 2009 में नेशनल कॉन्फ्रेंस के मिर्जा महबूब बेग जीते, 2014 के आम चुनाव में यह सीट महबूबा के पास फिर आ गई और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में दोबारा से यह सीट महबूबा मुफ्ती से छिन गई।

उधमपुर: जम्मू कश्मीर के उधमपुर लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी को भारी वोटों के अंतर से हराया था। जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी बिक्रमादित्य सिंह को 3,57,252 मतों से करारी शिकस्त दी थी। बता दें कि उधमपुर लोकसभा सीट जनरल कैटेगरी के लिए रिजर्व है। यह एक ग्रामीण संसदीय क्षेत्र है जहां साक्षरता दर 64.97 के आसपास है। वहीं यहां 7,87,637 पुरुष और 6,81,434 महिलाएं वोटर्स हैं। 1 मतदाता अन्य अथवा थर्ड जेंडर हैं। यहां एससी कैटेगरी की आबादी 16.56 फीसदी के आसपास है और एससी कैटेगरी की आबादी 13.08 के करीब है।

अब इस सीट के राजनीतक इतिहास की बात की जाए तो यहां पर साल 1967 से अब तक 12 लोकसभा चुनाव पूरे हो चुके हैं। इनमें से आठ बार कांग्रेस और चार बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। इस लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिलती है।

जम्मू: जम्मू लोकसभा सीट पर बीजेपी के जुगल किशोर ने कांग्रेस के रमन भल्ला को 30,2875 वोटों से हरा दिया था। जम्मू एक लोकसभा सीट है, जो जम्मू कश्मीर में है। जम्मू सीट की बात की जाए तो यहां पर साक्षरता दर करीब 77.5 फीसदी है। यहां 9,77,308 पुरुष और 8,70,834 महिलाएं वोटर हैं। 13 मतदाता अन्य अथवा थर्ड जेंडर हैं। यहां एससी की आबादी 17.47 प्रतिशत के लगभग है और अनुसूचित जनजाति 16.7 फीसदी के करीब है।

जम्मू और कश्मीर की जम्मू लोकसभा सीट, कांग्रेस का गढ़ रहा है, 1957 से अस्तित्व में आई सीट पर अब तक कांग्रेस ने 9 चुनाव में जीत दर्ज की है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी का आंकड़ा कुछ कम रहा है। मौजूदा सांसद जुगल किशोर शर्मा बीजेपी के टिकट पर जीते थे। खास बात है कि इस सीट पर सिर्फ दो बार ही मुस्लिम प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। जम्मू लोकसभा सीट के तहत राज्य की 22 जिलों में से 4 जिलों की 20 विधानसभा सीटों आती है, इन विधानसभा क्षेत्रों में से 11 जम्मू जिले में, 3 पुंछ जिले में, 2 सांबा जिले में और 4 राजौरी जिले में हैं।

लद्दाख: लद्दाख लोकसभा सीट जम्मू कश्मीर में है। लद्दाख लोकसभा सीट जनरल कैटेगरी के लिए रिजर्व की गई है। यहां से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जामयांग टेरसिंग नामग्याल (Jamyang Tsering Namgyal) ने निर्दलीय उम्मीदवार सज्जाद हुसैन को को 10,930 वोटों से हराया। लद्दाख लोकसभा की साक्षरता दर 74.28 फीसदी है।

लद्दाख लोकसभा सीट में चार विधानसभा क्षेत्र कारगिल, जानस्कर, लेह और नोबरा आते हैं। अब बात की जाए साल 2014 के लोकसभा चुनाव की तो यहां पर बीजेपी ने लद्दाखी बौद्ध थुप्सन चेवांग को मैदान में उतारा था, जिन्होंने लद्दाख में बीजेपी पहली बार परचम लहराया था। हालांकि थुप्सन चेवांग मात्र 36 वोटों से ही जीत सके थे, बीजेपी के चेवांग को कुल 31,111 वोट मिले जबकि निर्दलीय गुलाम रज़ा को 31,075 वोट हासिल हुए थे। वहीं, इस सीट का राजनीतिक इतिहास भी काफी अच्छा रहा है। यहां पर साल 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी केजी बकुला जीते थे। 1977 में कांग्रेस की पार्वती देवी ने जीत दर्ज की और 1980 व 1984 में पी. नामग्याल का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार हसन कंमाडर जीतने में हासिल हुए। 1996 में कांग्रेस के उम्मीदवार पीं नामग्याल ने जीत हासिल की।

पिछले चुनाव से कैसे अलग होगा ये लोकसभा चुनाव

2019 में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद चुनाव होने जा रहा है। इस चुनाव से लोगों का रुख जानने का भी मौका मिलेगा। वहीं, इस बार गुलाम नबी आजाद की पार्टी भी लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएगी। गुलाम नबी आजाद ने कई वर्षों तक कांग्रेस में रहने के बाद यह पार्टी छोड़ दी और अपनी अलग पार्टी का बना ली थी। वहीं, भारतीय जनता पार्टी भी लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस चुकी है।