बिहार में नीतीश कुमार फिर वापसी का सपना संयोए हैं लेकिन तीसरे चरण की 78 सीटों पर मुकाबला कड़ा है। इस चरण में जिन सीटों पर सबकी नजर है उनमें से एक सिमरी बख्तियारपुर की सीट भी है जहां से एनडीए के सहयोगी विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश सहनी मैदान में हैं। खुद को ‘सन ऑफ मल्लाह’ कहने वाले सहनी की पार्टी ने इस चुनाव में पहले ही बाजी मार ली है। बीजेपी ने अपनी 121 सीटों के कोटे से उनकी पार्टी को 11 सीटें दे दी हैं। महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी पर हमला करके और छुरा घोंपने वाला बयान देकर साहनी ने बीजेपी का विश्वास हासिल कर लिया। सहनी को विश्वास है कि मल्लाह और निषाद वोटों पर उनका पूरा कमांड है। इसी वजह से उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए यह सीट चुनी है।
मुकेश सहनी पहले महागठबंधन का हिस्सा थे लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी के इशारे पर ही उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बगावत कर दी थी। वह तेजस्वी को मुख्यमंत्री और खुद को उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर चुके थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था, ‘तेजस्वी यादव ने मेरे साथ धोखा किया है। मेरी पीठ में छुरा भोंका गया है।’ 2015 में वह बीजेपी के ही साथ थे लेकिन 2019 से महागठबंधन के साथ हो लिए थे।
सेल्समैन से राजनीति में कैसे आए सहनी?
मुकेश सहनी फिल्मी दुनिया में काम करना चाहते थे इसलिए 19 साल की उम्र में घर से भागकर मुंबई चले गए। शुरुआत में वहां एक सेल्समैन की नौकरी करने लगे। थोड़े दिनों के बाद वह फिल्मों, टीवी सीरियल और शो के सेट बनाने का कारोबार करने लगे। उनकी मेहनत रंग लाई और लोग उनके काम को पसंद करने लगे। नितिन देसाई ने उन्हें अपनी फिल्म देवदास का सेट बनाने का काम दिया। मुकेश ने ‘सिनेवर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड’ नाम से कंपनी बनाई और मेहनत के दम पर अच्छा पैसा कमाने लगे।
अचानक शुरू हो गया राजनीतिक सफर
2013 में उन्होंने राजनीति में रुचि लेनी शुरू कर दी। बिहार में मल्लाह वोट बैंक काफी ज्यादा है। साहनी ने इसे पहचाना और ‘सन ऑफ मल्लाह’ बनकर अखाड़े में कूद गए। उनके पास पैसा पहले ही आ गया था और राजनीतिक गलियारों में संपर्क भी अच्छे थे। इस वजह से वह आसानी से राजनीति में आ गए। उन्होंने 2018 में निकासशील इंसान पार्टी बनाई। उनकी पार्टी का निशान भी पानी में तैरती हुई नाव है। 2019 में उन्होंने खगड़िया सीट से किस्मत आजमाई लेकिन मोदी लहर में किनारे हो गए। बिहार में मछुआरे, मल्लाह, निषाद, बिंद और पसमंदा समाज की आबादी लगभग 25 फीसदी है। इसिलिए बीजेपी ने सहनी पर दांव आजमाया है।