पचपन हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हिमाचल प्रदेश की मंडी संसदीय सीट का क्षेत्रफल ही 34 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक है। इसमें प्रदेश के छह जिले आते हैं जिनमें तीन जनजातीय क्षेत्र किन्नौर, लाहुल स्पीति व चंबा का पांगी भरमौर भी शामिल है। मंडी संसदीय सीट जो क्षेत्रफल के लिहाज से राजस्थान के बाड़मेर के बाद दूसरे नंबर आती है, एक बार फिर से देश भर में चर्चा में आ गई है।

कारण यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर चर्चित व जानी मानी सिने तारिका जो मंडी जिले की ही रहने वाली हैं, कंगना रनौत को यहां से उम्मीदवार बनाया है। अब कांग्रेस ने भी बदले माहौल में यहां से तीन बार सांसद रहे व छह बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य को अपना उम्मीदवार घोषित करके इस सीट को और अधिक चर्चा में ला दिया है। कहा जा सकता है कि पूरे उतरी भारत में मंडी एक ऐसी सीट हो गई है जिस पर सर्वाधिक चर्चित चेहरे मैदान में हैं। विक्रमादित्य भी अपने बयानों को लेकर हमेशा से ही चर्चा में रहे हैं जबकि कंगना रनौत को लेकर तो पिछले कई वर्षों से देश भर में चर्चा का माहौल है।

हिमाचल के मंडी, हमीरपुर व बिलासपुर जिलों की सीमा पर बसे छोटे से गांव भांबला में अमरदीप सिंह रनौत के घर पैदा हुई कंगना ने जिस तरह से छोटी सी उम्र में फिल्मी दुनिया में नाम कमाया, अपने अभिनय से चर्चित हुईं, मुंबई में ठाकरे परिवार व सरकार के साथ सीधा टकराव करते हुए, फिर पिछले कुछ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा के साथ जुड़ कर बेबाक टिप्पणियां करने, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने समेत और गोमांस के सेवन जैसे मामलों में वे हमेशा सुर्खियों में रहीं।

जब मंडी से पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का नाम उभरने व उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव बनने के कारण वे हाईकमान को यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहे कि एक विधायक के तौर पर उन्हें हिमाचल में ही रहने दिया जाए और कंगना को यहां से उम्मीदवार बना दिया जाए, उसका नाम तय हो गया। अब माना जा रहा है कंगना की जीत का सारा दारोमदार जय राम ठाकुर पर है।

दूसरी ओर, विक्रमादित्य भी कम चर्चित चेहरा नहीं हैं। छोटी उम्र में विधायक बने और अब दूसरी बार विधायक बन कर प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं। प्रदेश में दिसंबर 2022 में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस के बीच छिड़ी जंग की बात हो या फिर उसके बाद आपदा के दौरान की गई बेबाक टिप्पणियां जो सरकार की नीति के खिलाफ जा रही हों, वे चर्चा में रहे हैं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अयोध्या जाने को लेकर भी वे सुर्खियों में रहे।

राज्यसभा चुनाव में पाला बदलने के बाद उनका मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर गंभीर आरोप लगाना, वीरभद्र सिंह की शिमला के रिज मैदान पर प्रतिमा लगाए जाने को लेकर उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया, उसी शाम को इस्तीफा वापस लेने और फिर अपने समर्थक विधायकों के भाजपा के पक्ष में चले जाने को लेकर वे निशाने पर रहे हैं।

यहां तक कि उनके भाजपा में जाने की भी अटकलें लगती रही हैं। उनको लेकर देश भर में चर्चा हुई हैं। अब जब दो युवा चर्चित चेहरे चुनावी जंग में आमने-सामने हैं, तीखे बयानों का दौर शुरू हो चुका है, इनमें व्यक्तिगत छींटाकशी भी जारी है तो यह तय है कि मंडी की यह जंग रोचक होगी।