Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 6 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया गया है। राज्यसभा चुनाव में पार्टी लाइन से अलग हटकर वोट डालने के मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। हिमाचल प्रदेश सरकार में संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कांग्रेस के सभी छह बागी विधायकों को डिसक्वालीफाई करने की मांग की थी। इस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया अपना फैसला सुनाया है। उनके ऊपर पार्टी लाइन से अलग हटकर क्रॉस वोटिंग करने के मामले में कार्रवाई की गई है। स्पीकर ने कहा कि ये जनादेश का अपमान है।

दलबदल विरोधी कानून के तहत होगी कार्रवाई?

कांग्रेस के 6 बागी विधायकों पर दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग की गई है। बता दें कि बार बार होने वाली सियासी उठापटक और हॉर्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए साल 1985 में राजीव गांधी की सरकार ने 92वां संवैधानिक संशोधन कर दल बदल विरोधी कानून पारित किया। इस कानून का मकसद राजनैतिक लाभ के लिए नेताओं के पार्टी बदलने को रोकना था। इस कानून को दसवीं अनुसूची में रखा गया है।

क्या है पूरा मामला?

हिमाचल में राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायक सुधीर शर्मा, राजिंदर राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा, देवेंद्र कुमार भुट्टो और रवि ठाकुर पार्टी लाइन से अलग हटकर बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था। बुधवार को बजट पास करने को लेकर जो व्हिप जारी किया गया था, उसका भी विधायकों ने पालन नहीं किया। इसके बाद इन विधायकों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक और संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान की ओर से सभी छह बागी विधायकों के खिलाफ राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के मामले में पिटीशन दायर कर कार्रवाई की मांग उठाई है। इस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के चेंबर में सुनवाई की गई।