Lok Sabha Election 2019 के लिए मतदान शुरू होने में अब चंद दिन बचे हैं। वोटिंग 11 अप्रैल से शुरू होकर 19 मई तक चलेगी। सात चरणों की वोटिंग के बाद 23 मई को नतीजे आएंगे। लोकतंत्र के इस महापर्व में कई दिलचस्प आंकड़े भी सामने आते हैं। एक नजर भारत के संसदीय इतिहास में दर्ज की गई अब तक की सबसे बड़ी जीत पर डालते हैं। इस फेहरिस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चौथे नंबर पर हैं। जानिए लिस्ट में कौन, किस पायदान पर है।

नंबर 5- वीके सिंह, भारतीय जनता पार्टी
इंडियन आर्मी के चीफ रहे जनरल वीके सिंह ने 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। गाजियाबाद लोकसभा सीट पर उन्होंने बीजेपी के टिकट पर लड़ते हुए कांग्रेस के राज बब्बर के खिलाफ बड़ी जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में उन्हें 7,58,482 वोट मिले थे, वहीं राज बब्बर को महज 1,91,222 वोट मिले थे। इस तरह उन्होंने 5,67,260 के मार्जिन से जीत दर्ज की थी। यह भारतीय लोकसभा इतिहास की पांचवीं और 2014 के मुख्य चुनाव की दूसरी सबसे बड़ी जीत थी।

Union Minister VK Singh
गाजियाबाद से सांसद और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (फोटो- इंडियन एक्सप्रेस)

नंबर 4 : नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी
2014 में अपने पहले लोकसभा चुनाव में ही नरेंद्र मोदी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में वे उत्तर प्रदेश की वाराणसी और अपने गृह राज्य गुजरात की वडोदरा सीट से चुनाव लड़े थे। वडोदरा में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी मधुसूदन मिस्त्री को 5,70,128 वोटों के अंतर से हराया था। हालांकि बाद में उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी। चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी का यह पहला लोकसभा चुनाव था। 2014 के मुख्य चुनाव में यह सबसे बड़े अंतर वाली जीत थी।

PM Narendra Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- एक्सप्रेस फाइल)

नंबर 3 : पीवी नरसिम्हा राव, कांग्रेस
1991 में भारत के दसवें प्रधानमंत्री बने पीवी नरसिम्हा राव ने आंध्र प्रदेश की नांद्याल सीट पर हुए उपचुनाव में उस वक्त की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। उनके नाम पर एक रिकॉर्ड यह भी है कि वे दक्षिण भारत से प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले पहले शख्स थे। उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का जनक भी कहा जाता है। इस चुनाव में उन्हें 6,26,241 वोट मिले थे, वहीं उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी बंगारु लक्ष्मण को 45,944 वोट मिले थे। इस तरह उन्होंने 5,80,297 के अंतर से यह सीट जीती थी। उल्लेखनीय है कि बंगारु लक्ष्मण दलित समुदाय से आने वाले बीजेपी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव

नंबर 2 : अनिल बसु, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी
भारत के लोकसभा इतिहास की दूसरी सबसे बड़ी जीत अनिल बसु के नाम है। लोकसभा चुनाव 2004 में उन्होंने पश्चिम बंगाल की आरामबाग सीट से सीपीएम के टिकट पर लड़ते हुए उन्होंने यह रिकॉर्ड बनाया था। इस चुनाव में उन्होंने 744,464 वोट हासिल किए थे। वहीं उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी बीजेपी नेता स्वपन कुमार नंदी को महज 151,962 वोट ही मिले थे। इस तरह उन्होंने 5,92,502 वोटों से जीत हासिल की थी, यह उस समय तक की सबसे बड़ी जीत थी। अगले 10 साल तक यह रिकॉर्ड बसु के ही नाम रहा। हालांकि इसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ा ही नहीं। 1984 से 2009 तक छह बार आरामबाग से सांसद रहे बसु को 2012 में सीपीएम ने पार्टी से निकाल दिया था। उन पर भाई भतीजावाद, अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निकाला गया था। 2018 में उनका निधन हो गया।

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दिवंगत नेता अनिल बसु (फोटोः @india.cd)

नंबर 1: प्रीतम मुंडे, भारतीय जनता पार्टी
महाराष्ट्र के बीड से बीजेपी सांसद डॉ. प्रीतम मुंडे ने 2014 में यह रिकॉर्ड बनाया था। प्रीतम बीजेपी के दिग्गज नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं। उनके निधन से ही बीड सीट खाली हुई थी, जिसके बाद उपचुनाव में प्रीतम ने लोकसभा चुनाव की अब तक की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में उन्हें कुल 9,16,923 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस प्रत्याशी अशोकराव पाटील को महज 2,24,678 वोट ही मिले थे। इस तरह उन्होंने करीब 6,96,321 के मार्जिन से जीत दर्ज की थी, जो देश के इतिहास में लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी जीत है।

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बीड से सांसद प्रीतम मुंडे (फोटोः @pritammunde)

रोचक बात यह है कि इनमें से ज्यादातर ने अपने पहले लोकसभा चुनाव में ही रिकॉर्ड बनाया है। वहीं अनिल बसु, नरेंद्र मोदी और पीवी नरसिम्हाराव ने रिकॉर्ड बनाने के बाद उस सीट से दोबारा चुनाव नहीं लड़ा। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए प्रीतम मुंडे को वापस बीड और वीके सिंह को गाजियाबाद से टिकट मिला है।

 

2014 से पहले तक इस सूची में हाजीपुर से लोकसभा सांसद रामविलास पासवान का भी नाम था। उनके नाम भी एक समय लोकसभा चुनाव की सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड था, जिसे नरसिम्हा राव ने तोड़ा था।