हरियाणा चुनाव आयोग ने ‘नोटा’ को लेकर एक एतिहासिक फैसला किया है। बता दें हरियाणा चुनाव आयोग ने दिसंबर में पांच जिलों में होने वाले नगर निगम चुनाव में नोटा को प्रत्याशी की तरह काउंट करने का फैसला लिया है। यानी अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं चो वहां चुनाव दोबारा कराया जाएगा लेकिन गौर करने वाली बात ये हैं कि पहली बार वाले प्रत्याशी अयोग्य घोषित हो जाएंगे। देश में किसी भी चुनाव में पहली बार ऐसा हो रहा है।
जरा ऐसे समझें
इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि मान लीजिए हरियाणा के पांच जिलों में नगर निगम के किसी निर्वाचन क्षेत्र में पहले प्रत्याशी को 15 हजार, दूसरे को 18 हजार और नोटा को 20 हजार (किसी भी प्रत्याशी से अधिक) वोट मिलते हैं। ऐसे हालात में सबसे अधिक वोटों के साथ नोटा को विजेता माना जाएगा और चुनाव रद्द कर दिया जाएगा। जिसके बाद दोबारा उस सीट पर चुनाव होगा लेकिन जो पहले दो प्रत्याशी थे वो इस बार मैदान में नहीं उतर पाएंगे।
अभी क्या हैं नियम ?
अभी के नियमों की बात करें तो अभी तक हर स्तर के चुनावों में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलने पर दूसरे नंबर पर सबसे अधिक वोट वाले प्रत्याशी को विजेता माना जाता है। लेकिन हरियाणा चुनाव के फैसले के बाद ये नियम बदल गया है।
काल्पनिक उम्मीदवार बना नोटा
हरियाणा के मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. दिलीप सिंह ने गुरुवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा- ‘नोटा को काल्पनिक चुनावी उम्मीदवार माना जाएगा। लेकिन अगर दूसरी बार चुनाव कराने पर भी नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तब दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार को विजेता घोषित कर दिया जाएगा।’
जानें क्या है नोटा
नोटा (NOTA- None of the Above) का मतलब होता है ‘इनमें से कोई नहीं’। इसमें वोटिंग मशीन या बैलट पेपर पर ‘इनमें से कोई नहीं’ का विकल्प दिया जाता है। यानी आप मौजूदा प्रत्याशियों में से किसी को भी वोट नहीं देना चाहते तो नोटा को चुन सकते हैं। नोटा का सबसे पहले इस्तेमाल 2013 में छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्यप्रदेश और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में हुआ। इसके बाद इसे 2014 के लोकसभा चुनाव में भी इस्तेमाल किया गया।