गोवा में चार फरवरी को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में प्रचार का शोर गुरुवार (2 फरवरी) को थम गया। लेकिन, आखिरी दिन तक यह साफ नहीं हो सका कि राज्य में चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा। इस तटीय राज्य में चुनावी संघर्ष बहुकोणीय दिख रहा है और इसी वजह से अनुमान लगाना जटिल हो रहा है। सत्ता की लड़ाई में चार राष्ट्रीय पार्टियां, छह क्षेत्रीय पार्टियां और दिग्गज निर्दलीय उम्मीदवार लगे हुए हैं। शनिवार (4 फरवरी) को 40 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे चुनाव में 251 उम्मीदवार आमने-सामने हैं।

राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 36 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस ने 37, आम आदमी पार्टी (आप) ने 39 जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 18 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा की पूर्व गठबंधन सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) ने 26, आरएसएस के पूर्व नेता सुभाष वेलिंगकर के गोवा सुरक्षा मंच ने पांच और शिवसेना ने तीन उम्मीदवार चुनाव में उतारे हैं। इन तीनों दलों ने ‘महागठबंधन’ कर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने सार्वजनिक रूप से अपनी जीत में विश्वास जताया। लेकिन, सभी पार्टियों के नेता ‘ऑफ रिकॉर्ड’ यही कह रहे हैं कि राज्य में त्रिशंकु विधानसभा के आसार हैं। ज्यादा मत मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच बंटने के आसार हैं। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, “यही एकमात्र कारण है कि यहां पार्टियों ने कभी भी एक दूसरे पर भद्दे एवं गंभीर आरोप नहीं लगाए क्योंकि चुनाव के बाद क्या तस्वीर होगी और कौन किसके साथ मिलकर सरकार बनाएगा, कुछ पता नहीं है।”

भाजपा ने पिछली बार के मुकाबले पांच सीट अधिक कुल 26 सीटों पर जीत हासिल करने का विश्वास जताया है। लेकिन, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने गुरुवार को पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के लिए लक्ष्य और ऊंचा कर दिया। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा को दो तिहाई बहुमत मिलने की उम्मीद है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में बेरोजगारी हटाने का वादा किया है।

आम आदमी पार्टी को भी 26 सीटों पर जीत हासिल करने का यकीन है। पार्टी ने मौजूदा सरकारी सहायताओं को दोगुना करने और मछली से लेकर बिजली की दरों तक की कीमतों को कम करने का वादा किया। कांग्रेस पार्टी को बिना किसी गठबंधन के राज्य में सत्ता में आने की उम्मीद है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने गुरुवार (2 फरवरी) को बताया, “गोवा भाजपा में भ्रष्टाचार और कुशासन ने गोवा के लोगों को दिखा दिया है कि सिर्फ कांग्रेस ही समावेशी और प्रभावकारी शासन दे सकती है।”

एमजीपी, गोवा सुरक्षा मंच और शिवसेना के गठबंधन की नजर बड़े स्तर पर हिंदू मतदाताओं का वोट हासिल करने पर है। इस गठबंधन पर निगाहें जमी हुई हैं क्योंकि इसका प्रदर्शन भाजपा के प्रदर्शन पर असर डालेगा। शिवसेना और जीवीएम का कहना है कि चुनाव के बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में भाजपा के साथ उनका गठबंधन नहीं होगा जबकि एमजीपी ने विकल्प खुले रखे हैं। गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सुदीन धावालीकर ने कहा, “एमजीपी गोवा में स्थाई सरकार देने की दिशा में काम करेगी।” गोवा में चार फरवरी को लगभग 11.08 लाख मतदाता कुल 1,649 मतदान केंद्रों पर वोट देंगे।