2019 का लोकसभा चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव रहा। सात चरणों में हुए लोकतंत्र के महापर्व के दौरान एक वोटर पर लगभग 700 रुपए का खर्च आया, जबकि पूरे चुनाव में तकरीबन 60 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए। ये खुलासा नई दिल्ली स्थित रिसर्च एजेंसी सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) ने किया है। सीएमएस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार पिछले चुनाव (2014 का आम चुनाव) में दोगुणी रकम खर्च हुई है। यानी 2014 के आम चुनाव में लगभग 30 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

जमैका की आबादी बराबर हमारे संसदीय क्षेत्र में वोटर: सीएमएस ने यह रिपोर्ट विभिन्न इलाकों का दौरा करने, विशलेषण और अनुमान के आधार पर तैयार की है, जो बताती है कि इस चुनाव में हर वोटर पर लगभग 700 रुपए खर्च किए गए। देश के कुछ संसदीय क्षेत्र ऐसे भी थे, जहां करीब 30 लाख वोटर पाए गए। यह आंकड़ा जमैका राष्ट्र की आबादी के बराबर है।

‘चुनाव के दौरान जमकर होता है भ्रष्टाचार’: सीएमएस के अध्यक्ष एन.भास्कर राव ने कहा, “अगर यही हाल रहा, तब तो 2024 के आम चुनाव में चुनावी खर्च का आंकड़ा एक ट्रिलियन के पार चला जाएगा।” उनके मुताबिक, सभी किस्म का भ्रष्टाचार चुनावी खर्च के दौरान किया जाता है। अगर हम इस समस्या को नहीं समझ सके, तब हम देश में भ्रष्टाचार को नहीं पकड़ पाएंगे।

अमेरिकी चुनाव को भी पछाड़ाः ‘कारनीज एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस थिंकटैंक’ में सीनियर फेलो और दक्षिण एशिया कार्यक्रम के निदेशक मिलन वैष्णव के अनुसार, 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और कांग्रेस चुनावों में 46,211 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।

20 साल में हुए चुनावों पर कितनी रकम हुई खर्च?: साल 1998 के चुनाव में 9000 करोड़ रुपए खर्च हुए। 1999 में यह आंकड़ा 10000 करोड़ हुआ। आगे 2004 में 14000 करोड़ रुपए चुनावी खर्च रहा, जबकि वर्ष 2009 में 20,000 करोड़ रुपए इस पर खर्च हुए थे। पिछले यानी कि 2014 के आम चुनाव में चुनावी खर्च की रकम 30 हजार करोड़ थी।