उमाकांत मिश्र
समाजवादी पार्टी ने पहली बार लीक से हटकर उन्नाव में महिला उम्मीदवार को उतारा है और वे भी इस क्षेत्र की नहीं हैं। लेकिन इस निर्णय से सत्तारूढ़ समेत सभी सियासी दलों के समीकरण गड़बड़ा गए हैं। राजनैतिक विश्लेषक मानते हैं कि पिछड़ा वर्ग बाहुल्य वाली इस सीट पर मौजूदा सांसद की वर्ष 2014 में हुई भारी जीत में पिछड़े वर्ग के मतदाताओं का रुझान था। पूजा पाल के आ जाने से इन मतों में बंटवारा होना तय है। उन्नाव में गैर कांग्रेसी और गैर भाजपा सांसदों पर बात की जाए तो यहां अपातकाल के बाद पहली बार कांग्रेस से बिदके मतदाताओं ने वर्ष 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार चौधरी राघवेन्द्र सिंह को सांसद चुना था। वर्ष 1989 में बोफर्स तोप पर सियासत गर्माकर विश्वनाथ प्रताप सिंह ने जनता दल का गठन किया और उसके टिकट पर अनवार अहमद ससंद पहुंचे। वर्ष 1999 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर पूर्व सदर विधायक दीपक कुमार लोकसभा का चुनाव जीते। गंगापार के दूसरी पीढ़ी के इस नेता को भी बाहरी होने का दंश ताउम्र झेलना पड़ा था।
पैराशूट या बाहरी उम्मीदवार बनाने की परंपरा का सूत्रपात भाजपा और कांग्रेस यहां क्षेत्रीय दलों से पहले ही कर चुकी थीं। वर्ष 1971 में भाजपा ने बाबा बजरंग बली ब्रह्मचारी तथा कांग्रेस ने वर्ष 1996 में विजय कुमार त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि उन्नाव के मतदाताओं ने दोनों को नकार दिया लेकिन विधानसभा की राह चलकर वर्ष 1996 में आए दीपक कुमार को उन्नाव की जनता ने सांसद चुना। जिले के मतदाताओं की पसंद भांप 2004 में हरदोई के ब्रजेश पाठक को अपना उम्मीदवार बनाया। जनता ने उन्हें भी जिताया। सपा नेतृत्व ने अपने इस प्रयोग को वर्ष 2014 में लखनऊ के अरुणशंकर शुक्ला उर्फ अन्ना महाराज को लड़ाया लेकिन यह प्रयोग विफल रहा। इसके बाद भाजपा ने वर्ष 2014 में स्वामी हरि सच्चिदानंद साक्षी महाराज पर दांव लगाया और वे सांसद बन गए।
एक बार फिर साहस बटोरकर सपा और बसपा गठबंधन ने अपने पुराने प्रयोग को दुबारा अमल में लाकर राजू पाल की पत्नी व इलाहाबाद की विधायक रहीं पूजा पाल पर भरोसा जताया है। अब देखना यह है कि बाहरी उम्मीदवार पूजा पाल उन्नाव के मतदाताओं पर अपना कितना प्रभाव जमा पाती हैं। हालांकि पाल समर्थकों का मानना है कि वे इलाहाबाद में विधानसभा चुनाव में अतीक अहमद को शिकस्त दे चुकी हैं तो साक्षी महाराज से मुकाबला उनके लिए कठिन नहीं है। ांग्रेस यहां से पूर्व सांसद अन्नू टंडन और भाजपा निवर्तमान सांसद साक्षी महाराज को अपना उम्मीदवार पहले ही घोषित कर चुकी है। इन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के बीच सपा बसपा गठबंधन की साझा उम्मीदवार पूजा पाल कितना प्रभाव दिखाएंगी यह 23 मई का दिन तय करेगा।
फिलहाल उन्नाव के मतदाताओं से उनकी पहचान इलाहाबाद के राजू पाल की पत्नी होने के अतीक अहमद को शिकस्त देने वाली के तौर पर बताई जा रही है। इस सीट पर हुए अब तक हुए संसदीय चुनावों में नौ बार कांग्रेस, चार बार भाजपा तथा जनता पार्टी, एक-एक बार जनता दल व बसपा जीते हैं।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साक्षी महाराज को 5,18,834, सपा के अरुण शंकर शुक्ला को 2,08,661, बसपा के ब्रजेश पाठक को 2,00,176 तथा कांग्रेस की अन्नू टंडन को 1,97,098 वोट मिले थे।