लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की आर्थिक इकाई स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार को आगाह किया है। मंच की तरफ से एक पत्र के जरिए कहा गया है कि अगर अमेरिका के सामने मोदी सरकार झुकेगी तो कारोबारी वर्ग से उसे वोट नहीं मिलेंगे।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, मंच के पत्र में कहा कि भारत अमेरिका की तरफ से बनाए जा रहे दवाब पर विरोध जताए और ई-कॉमर्स क्षेत्र को लेकर नए नियमों को लागू करने में फेरबदल न किया जाए। यह भी दावा किया गया है कि नीतियों लागू करने की तारीख में बदलाव से भारत के लगभग 13 करोड़ छोटे उद्यमियों को नुकसान पहुंच सकता है।

मंच के पत्र के हवाले से कहा गया- ऐसे दबाव के तहत आने की कोई जरूरत नहीं है। भारत को अपनी और अपने उद्यमियों के भलाई के मकसद से आगे बढ़ते रहना चाहिए। बता दें कि एक फरवरी से नए नियम लागू होंगे, जिसके तहत देश में वॉलमार्ट इनकॉरपोरेशंस और अमेजन डॉट कॉम सरीखी कंपनियों की उम्मीदों को नई रफ्तार मिलेगी।

नियमों के अनुसार, ई-कॉमर्स कंपनियों को उन कंपनियों के उत्पादों को बेचने की अनुमति नहीं मिलेगी, जिनमें उसके शेयर होंगे। गुरुवार को इससे पहले रॉयटर्स की एक अन्य रिपोर्ट आई थी। उसके अनुसार, अमेरिकी सरकार ने भारतीय अधिकारियों से कहा था कि नए नियम दोनों कंपनियों की निवेश संबंधी योजनाओं में अड़ंगा लगाएंगे।

इन नियमों की वजह से कंपनियों को अपने कारोबार के ढांचे में बदलाव और संचालन के खर्च में इजाफा करना पड़ेगा, जबकि अमेजन और वॉलमार्ट ने नियमों को लागू करने की अंतिम तारीख को बढ़ाने के लिए कहा था। अमेजन और वॉलमार्ट सरीखी अमेरिकी कंपनियों ने इसके बाद लॉबिंग भी शुरू कर दी थी। हालांकि, सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना था कि ऐसा होगा (तारीख न बढ़ना) नहीं, क्योंकि मई के आसपास चुनाव होने हैं। ऐसे में पीएम मोदी को कारोबारियों के वोटों की भी जरूरत होगी।

शुक्रवार (25 जनवरी) को कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने कहा, “अगर सरकार ने नियमों से जुड़ी आखिरी तारीख बढ़ा दी, तब पूरा कारोबारी समुदाय सरकार के खिलाफ वोट करेगा।” बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच कारोबार और निवेष को लेकर ई-कॉमर्स नियमों में फेरबदल का मामला सबसे हालिया विवाद है।

वॉलमार्ट के प्रवक्ता ग्रेग हिट्ट ने रॉयटर्स से इस हफ्ते हुई बातचीत में कहा था, “कंपनी ने अमेरिकी सरकार का ध्यान इस मामले पर दिलाया।” गौरतबल है कि आरएसएस लंबे समय से स्वदेशी चीजों पर जोर देता आया है। वह इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशियों के प्रवेश लेने का विरोध करता रहा है।