Tripura Assembly Election Result: त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी एक बार फिर सत्ता में वापसी करती दिखाई दे रही है। 33 सीटों के साथ बीजेपी (BJP) प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं लेफ्ट 14 सीटों पर सिमटती दिख रही है। चुनाव में टिपरा मोथा (Tipra Motha Party) के शानदार प्रदर्शन ने सभी को हैरान कर दिया है। चुनाव से पहले ‘किंगमेकर’ कही जा रही टिपरा मोथा भले ही इस भूमिका में सामने ना आई हो लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब रुझानों में इसके प्रदर्शन से बीजेपी की भी सांसें अटका दी थीं। प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रही टिपरा मोथा 13 सीटों पर आगे चल रही है। चुनाव में इसने सीधा नुकसान बीजेपी को पहुंचाया है।

शुरुआती रुझानों में बीजेपी एक समय करीब 40 सीटों पर आगे चल रही थी। वहीं टिपरा मोथा 5 सीटों पर ही आगे थी। रुझानों में टिपरा मोथा की सीटें तेजी से बढ़ने लगीं और बीजेपी की सीटें खिसककर 26 पर आ गईं। इससे बाद बीजेपी में हलचल तेज हो गई। बीजेपी गठबंधन के लिए टिपरा मोथा से संपर्क करने लगी। माना जा रहा था कि अगर बीजेपी बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाती है तो टिपरा मोथा के साथ गठबंधन में सरकार बना सकती है। हालांकि बीजेपी ने एक बार फिर बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। इससे बाद बीजेपी ऑफिस के बाहर जश्न शुरू हो गया।

कौन हैं टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्योत?

त्रिपुरा के राजा के तौर पर पहचान पाने वाले प्रद्योत देबबर्मा (Pradyot Deb Barma) ने 2019 में टिपरा मोथा की स्थापना की थी। इससे पहले वह कांग्रेस में थे। उनके पिता भी कांग्रेस के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रद्योत को त्रिपुरा इकाई का अध्यक्ष भी बनाया था। हालांकि चुनाव के बाद उनका पार्टी से मोहभंग हो गया। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह एनआरसी मुद्दे (NRC Issue) को बताया गया। इसके बाद वह राजनीति में सक्रिय हुए और टिपरा मोथा नाम से नई पार्टी बना ली। पार्टी बनाने के बाद उसकी तेजी से विस्तार हुआ। पहली उसने 2021 में आदिवासी क्षेत्र स्वशासी जिला परिषद का चुनाव लड़ा और इस चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 28 में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की।

टिपरा की जीत की क्या रही वजह

टिपरा मोथा की जीत में प्रद्योत देबबर्मा का चेहरा ही सबसे सबसे आगे रहा। स्मार्ट और वाकपटु प्रद्योत की जनसभाओं में भारी भीड़ दिखाई दी। उन्होंने अपनी जनसभाओं में लोगों को बांधे रखा। कायस्थ राजवंश से आने वाले प्रद्योत ने आदिवासी लोगों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया। चुनाव में बीजेपी टिपरा मोथा के साथ गठबंधन करना चाहती थी लेकिन बात नहीं बन सकी। इस बात को प्रद्योत ने अपनी जनसभाओं में भी प्रमुखता से उठाया था।