Election Results 2019: आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला मामले में सजा मिलने के बाद जेल में हैं। हालांकि, फिलहाल वह अपना इलाज रांची के अस्पताल में करा रहे हैं। मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक, आम चुनाव 2019 में बिहार में लालू यादव की पार्टी के सफाए के बाद पार्टी प्रमुख बेहद तनाव में आ गए थे और उन्होंने दिन का खाना तक छोड़ दिया था। डॉक्टरों ने उन्हें समझाया कि दवाएं खाने के लिए खाना जरूरी है। अब खबरें आ रही हैं कि लालू अब ने दोबारा से खाना शुरू कर दिया है। उधर, इन चुनावों पर लालू यादव की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। लालू ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का अध्यक्ष पद से इस्तीफा आत्मघाती कदम साबित हो सकता है। बता दें कि लालू की पार्टी आरजेडी को इस चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली।
लालू ने आम चुनाव 2019 पर अपने विचार नलिन वर्मा से साझा किए जो उनकी ऑटोबायोग्राफी ‘गोपालगंज टु रायसीना-माय पॉलिटिकल जर्नी’ के सह लेखक भी हैं। अंग्रेजी अखबार ‘द टेलिग्राफ’ ने दोनों के बीच हुई बातचीत की डिटेल्स प्रकाशित की हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, लालू यादव का मानना है कि राहुल के इस्तीफे की पेशकश न केवल उनकी अपनी पार्टी बल्कि संघ परिवार के खिलाफ लड़ रहीं सभी सामाजिक और राजनीतिक ताकतों के खिलाफ आत्मघाती साबित होगी। यह बीजेपी के जाल में फंसने जैसा होगा। जैसे ही गांधी-नेहरू परिवार का कोई सदस्य राहुल की जगह लेगा, नरेंद्र मोदी और अमित शाह उस नेता को परिवार की कठपुतली साबित करने में लग जाएंगे। लालू के मुताबिक, यह रणनीति अगले लोकसभा चुनाव तक जारी रहेगी। लालू का मानना है कि राहुल को विरोधियों को ऐसे मौके नहीं देने चाहिए।
लालू ने कहा कि यह सच है कि चुनाव में मोदी की अगुआई वाली बीजेपी से हार मिली। ऐसे में सभी विपक्षी पार्टियों को इसे सम्मलित असफलता के तौर पर लेना चाहिए और आत्ममंथन करना चाहिए कि क्या गलती हुई। आरजेडी प्रमुख ने कहा कि विपक्षी पार्टियां बीजेपी को हटाने के लिए एकजुट तो हुईं लेकिन वह एक नैशनल नैरेटिव बनाने में असफल रहीं। देश के सभी हिस्सों में इन पार्टियों ने चुनाव को राज्य के चुनाव की तरह लड़ा। लोग राष्ट्रीय परिदृश्य में एक विकल्प की राह देख रहे थे, लेकिन बिना तालमेल के उतरीं विपक्षी पार्टियां यह विकल्प मुहैया कराने में असफल रहीं। लालू यादव ने कहा कि नरेंद्र मोदी बिना निर्विवाद ढंग से बीजेपी के सबसे बड़े नेता थे। लेकिन विपक्षी पार्टियां ‘अपने बारात के दूल्हे’ के चेहरे पर एकराय नहीं बना सकीं।
