Azamgarh UP Lok Sabha Election Results 2019 Updates: आजमगढ़ लोकसभा सीट पर भोजपुरी स्टार निरहुआ का स्टारडम बीजेपी के काम नहीं आया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस गढ़ को बरकरार रखा है और यहां करीब ढाई लाख वोटों से जीत दर्ज की। अखिलेश यादव को 6,21,578 वोट हासिल हुए, जबकि निरहुआ अपने स्टारडम की बदौलत 3,61,704 मत ही हासिल कर सके। गौरतलब है कि काउंटिंग शुरू होने से पहले निरहुआ और अखिलेश के बीच कड़ी टक्कर का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन अखिलेश ने निरहुआ के हर दांव को फेल कर दिया। बता दें कि आजमगढ़ सीट सपा का गढ़ मानी जाती है, क्योंकि यह यादव बाहुल्य इलाका है। 2014 की प्रचंड मोदी लहर में भी मुलायम सिंह यादव इस सीट को बचाने में कामयाब रहे थे। इस बार अखिलेश अपने पिता की जगह इस सीट से मैदान में उतरे हैं और जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं। वहीं, बीजेपी ने निरहुआ को मैदान में उतारकर स्टारडम का दांव खेला है। इसके अलावा निरहुआ तो मुलायम सिंह यादव का सपना देखने का भी दावा कर चुके हैं। यहां के सबसे तेज लाइव रिजल्ट के लिए Election Commission की आधिकारिक वेबसाइट्स eciresults.nic.in, eci.nic.in, eci.gov.in, या  ceouttarpradesh.nic.in पर विजिट कर सकते हैं।

Election Results 2019 Updates: चुनाव से जुड़े हर अपडेट्स यहां पढ़ें

2014 में भी बीजेपी के हाथ नहीं आई थी यह सीट: 2014 की मोदी लहर में भी मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ सीट पर 63 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। हालांकि, निरहुआ के गानों के शौकीन लोग कहते हैं कि मोदी का नाम इस बार यहां उलटफेर कर सकता है।

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Azamgarh UP Election Results 2019 Updates: यहां पढ़ें आजमगढ़ लोकसभा सीट के सबसे लेटेस्ट अपडेट

12:44 (IST)23 May 2019
आजमगढ़ में स्टारडम फेल

आजमगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी का स्टाडम दांव फेल साबित हो रहा है। बीजेपी ने इस सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ भोजपुरी स्टार निरहुआ को उतारा था, जो इस वक्त करीब 45 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं। 

07:01 (IST)23 May 2019
8 बजे शुरू होगी मतगणना

आजमगढ़ में सुबह 8 बजे मतगणना शुरू हो जाएगी। इस दौरान प्रत्याशियों के घरों में पूजा-पाठ का दौर शुरू हो चुका है। बता दें कि इस सीट पर मुख्य मुकाबला भोजपुरी स्टार निरहुआ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच है।

आजमगढ़ लोकसभा भी 1952 में ही अस्तित्व में आ गई थी। अब तक यहां 16 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं, लेकिन बीजेपी के हाथ एक बार भी जीत नहीं लगी है। यहां तक कि 2014 की मोदी लहर में भी बीजेपी इस सीट पर अपना खाता नहीं खोल पाई थी। 1952 से 1971 तक यहां कांग्रेस का जलवा रहा। इसके बाद सीट ज्यादातर सपा और बसपा के खेमे में घूमती रही।