Election Results 2019: पश्चिम बंगाल का सियासी समीकरण 2019 लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से बदल गया। पहली बार बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इस गैर हिंदी भाषी राज्य में लोकसभा चुनाव में कमाल किया। बीजेपी ने पहली बार यहां डबल डिजिट छुआ और 17 सीटें जीतने की ओर है। बता दें कि बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं और 2014 में मोदी लहर के बावजूद ममता बनर्जी की अगुआई वाली टीएमसी ने 34 सीटें हासिल की थीं। वहीं, बीजेपी ने 2 सीटें जीती थीं। तो क्या हो सकते हैं बीजेपी की इस जीत के कारण? आइए त्वरित विश्लेषण से समझने की कोशिश करते हैं…

बीजेपी के लिए पॉजिटिव फैक्टर : अब बात करते हैं बीजेपी को किन फैक्टर से लाभ मिल सकता है, तो इसमें सबसे पहला फैक्टर खुद मोदी हैं। तमाम विवादों और निंदा के बावजूद मोदी को पसंद करने वालों की कमी नहीं है। उन्हें लगता है कि मोदी से ही देश का विकास संभव है। मोदी की नीतियां, उनकी इमेज और उनका जज्बा लोगों को भाता है। भले 2014 में उनका जादू यहां न चला हो, लेकिन पिछले कुछ समय में जिस तरह बंगाल पर ध्यान केंद्रित किया गया, उससे उनकी एक अलग छवि उभरी है। मोदी की पहचान बढ़ी है। उन्हें पसंद करने वालों की संख्या बढ़ी है।

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बीजेपी को फोकस में लाईं ममता: दूसरा फैक्टर, खुद सीएम ममता बनर्जी हैं। उन्होंने मोदी को बार-बार निशाने पर बीजेपी को फोकस में आने का मौका दिया है। इसमें ‘राम’ भगवान भी एक बार फिर सुर्खियों में आ गए। बार-बार मोदी और बीजेपी को कोसने के कारण लोगों के दिमाग में इस पार्टी ने जगह बना लिया है। जहां वर्षों से बीजेपी की मामूली सी पहचान थी, वहां भी उसका नाम ले-लेकर ममता ने उसे स्पेस दे दिया।

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टीएमसी से लोग नाराज: तीसरा फैक्टर है तृणमूल से नाराजगी। विभिन्न चिटफंड घोटाले और राज्य की ढेरों विकास संबंधी समस्याओं ने लोगों में विकल्प की भावना जगाई है। यहां के एक वर्ग को लगता है कि राज्य में लेफ्ट के 34-35 वर्षों के शासन के बाद सत्ताधारी पार्टी तो बदल गई, लेकिन हालात जस के तस रह गए। ऐसे में बीजेपी राज्य में एक आस बनकर उभरी है। लोगों को लगता है कि बीजेपी से बंगाल में विकास की बयार बह सकती है।

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वेतन आयोग का असर: चौथा फैक्टर है, राज्य सरकार के कर्मचारी। केंद्र में बीजेपी सरकार ने सातवें वेतन आयोग को लागू कर दिया है। बंगाल में अभी पांचवां वेतन आयोग चल रहा है। मोदी ने तो अपने प्रचार में बकायदे कह भी दिया था, ‘दिल्ली की केंद्र सरकार ने सातवां वेतन आयोग लागू कर दिया, बगल के त्रिपुरा में भी बीजेपी सरकार बनते ही सातवां वेतन आयोग लागू कर दिया, लेकिन इस दीदी ने छठवां वेतन आयोग भी लागू नहीं किया।’

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वोट बैंक खिसका: पांचवां फैक्टर और सबसे दमदार फैक्टर, लेफ्ट का वोट बैंक बीजेपी की ओर खिसकना है। लेफ्ट को लगा कि हम तो राज्य में तृणमूल के साथ फाइट नहीं कर पा रहे हैं तो बीजेपी को ही फाइट करने दीजिए। इससे भी बीजेपी के हाथ मजबूत हुए। राज्य में लेफ्ट का करीब 23% वोट शेयर है। इसमें से 10-15% वोट बीजेपी में शिफ्ट हुआ, जिससे कुछ बीजेपी के खाते में कुछ सीटें जुड़ गईं।

ममता बनर्जी के लिए बढ़ेगी मुश्किल : लोकसभा चुनाव में भारी भरकम सीटें जीतकर बीजेपी ने बंगाल में न सिर्फ अपनी तगड़ी सियासी पारी का ऐलान किया है बल्कि टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। पिछले विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने 2011 से ज्यादा सीटें लेकर सीएम बनने में कामयाबी हासिल की थी। राज्य में अगला चुनाव 2021 में होने वाला है। अगर बीजेपी ने अपना ये प्रदर्शन बरकरार रखा तो ममता बनर्जी के लिए सीएम की सीट भी खतरे में पड़ सकती है। अकेले ममता बनर्जी के बाद उनकी पार्टी में दूसरा ऐसा कोई नहीं है, जो बीजेपी के फैक्टर को काटने के लिए बड़ी तस्वीर खींच सके। (कोलकाता से बिपिन राय की रिपोर्ट)