Election Results 2019: लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने जबर्दस्त सफलता हासिल करते हुए कुल 303 सीटों पर कब्जा किया है। इस जीत के मुख्य रणनीतिकार पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को माना जा रहा है। ऐसे में अब अमित शाह की नई सरकार में भूमिका को लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलबाजी शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि शाह पीएम नरेंद्र मोदी के कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं और वह सेकंड इन कमांड होंगे। हालांकि, सीनियर बीजेपी नेताओं का कहना है कि उन्हें शाह के भविष्य की योजनाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है। शाह या पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बारे में कभी कोई संकेत नहीं दिए।

द इंडियन एक्सप्रेस ने कम से कम तीन बीजेपी नेताओं से संपर्क किया। तीनों का मानना है कि शाह सरकार में शामिल हो सकते हैं क्योंकि बतौर पार्टी चीफ उन्होंने ‘अधिकतम योगदान’ दिया है। अगर शाह सरकार में शामिल होते हैं तो उन्हें बड़ा और बेहद अहम मंत्री पद मिलने के आसार हैं ताकि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी में उनकी मौजूदगी सुनिश्चित हो सके। यह कमेटी केंद्र सरकार की सबसे प्रभावशाली कमेटियों में शामिल है। हालांकि, अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी में पार्टी अध्यक्ष की जगह खाली हो जाएगी।

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पूर्व में बीजेपी के नेतृत्व के फैसले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रभावित होते रहे हैं। पार्टी के एक सीनियर नेता मानते हैं कि बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलाने वाली वर्तमान लीडरशिप भले ही आरएसएस से हर निर्देश न लेती हो ‘लेकिन अपने फैसलों के लिए संघ नेतृत्व का आशीर्वाद’ जरूर लेगी। बता दें कि अमित शाह जुलाई 2015 में पार्टी अध्यक्ष के पद पर काबिज हुए थे। राजनाथ सिंह के सरकार में शामिल होने के बाद यह पद खाली हुआ था। बाद में शाह जनवरी 2016 में दोबारा से पार्टी के अध्यक्ष चुने गए। उनके 3 साल का कार्यकाल इस साल जनवरी में खत्म हो गया। हालांकि, उन्हें लोकसभा चुनाव खत्म होने तक जारी रखने के लिए कहा गया।

बीजेपी के एक नेता के मुताबिक, नए पार्टी अध्यक्ष को लेकर फिलहाल नाम तो नहीं सुझाए गए, लेकिन इसको लेकर मापदंड काफी हद तक साफ हैं। मोदी और शाह की जोड़ी बेहद कामयाब साबित हुई है, ऐसे में नए पार्टी अध्यक्ष को मोदी की कार्यशैली के अनुरूप ही काम करना होगा। शाह एक ताकतवर संगठन बनाने में कामयाब हुए और उन्होंने बीजेपी में एक नई कार्यशैली को जन्म दिया। उनका पूरा फोकस पार्टी के प्रसार और चुनावी जीत हासिल करने पर रहा। बीजेपी ने भले ही भारत के उत्तर, पूर्व और पश्चिम में शानदार प्रदर्शन किया हो, लेकिन शाह की योजना फिलहाल पूरी नहीं हुई है। दक्षिण भारत के राज्यों में पार्टी का प्रभाव कायम किया जाना बाकी है।

मोदी कैबिनेट के मंत्रियों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा बातें स्मृति ईरानी को लेकर हो रही हैं क्योंकि उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके ही गढ़ में शिकस्त दी है। पार्टी के अंदर स्मृति की जीत की तुलना राजनारायण की जीत से हो रही है, जिन्होंने राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी को 1977 के चुनाव में शिकस्त दी थी। स्मृति अभी तक टेक्सटाइल मिनिस्टर थीं, लेकिन नई सरकार में उन्हें बड़ी भूमिका दी जा सकती है। पार्टी नेता सुषमा स्वराज की भविष्य में भूमिका को लेकर भी चर्चा कर रहे हैं। सुषमा अब दोनों सदनों की सदस्य नहीं हैं। स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सुषमा ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।