देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इनके नतीजे 10 मार्च को आएंगे। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को परिणामों का इंतजार है। वहीं यूपी में ईवीएम को लेकर बवाल मचा हुआ है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आशंका जताई है कि ईवीएम को लेकर धांधली हो सकती है।

बता दें कि मंगलवार को अखिलेश यादव ने दावा किया कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी में ईवीएम ले जा रहे एक ट्रक को रोका। उन्होंने यह भी दावा किया कि कम से कम तीन जिलों में मतपत्र ले जाने वाले वाहनों को रोका गया है। वहीं राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) ने जोर देकर कहा कि “मतदान में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम को सील और संरक्षित किया जाता है। इसकी 24×7 निगरानी होती है। उन्होंने अखिलेश के आरोपों पर कहा कि बुधवार को निर्धारित मतदान अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए ईवीएम लाई जा रही थी।

ईवीएम को लेकर मचे बवाल के बीच आइये जानते हैं कि आखिर ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग किस तरह के प्रबंध करता है और कैसे स्ट्रॉन्ग रूम से पोलिंग बूथ तक ईवीएम पहुंचती है। बता दें कि चुनाव होने की दशा में जिले में उपलब्ध सभी ईवीएम को सामान्यतया जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) के सीधे नियंत्रण में कोषागार या गोदाम में रखा जाता है।

चुनावी होने की दशा में ईवीएम को पार्टी के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में आवंटित किया जाता है। यदि प्रतिनिधि अनुपस्थित हैं, तो प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए आवंटित ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की एक सूची पार्टी कार्यालय के साथ साझा की जाती है। इस बिंदु से, विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) आवंटित मशीनों का प्रभार लेते हैं और उन्हें नामित स्ट्रांग रूम में स्टोर करते हैं।

प्रतिनिधियों की उपस्थिति जरुरी: ईवीएम को जब मतदान केंद्रों पर रखा जाता है तो उस वक्त पार्टी के प्रतिनिधियों की उपस्थिति होती है। दरअसल चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे अपने संबंधित मतदान एजेंटों के साथ मशीन नंबर साझा करें ताकि वे मतदान शुरू होने से पहले इनका सत्यापन कर सकें।

सभी मशीनों को उम्मीदवारों की सेटिंग और मतपत्रों को ठीक करने के बाद तैयार किया जाता है, और फिर चालू किया जाता है। पार्टी के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में स्ट्रांग रूम को सील कर दिया जाता है। जो अगर चाहें तो ताले पर अपनी मुहर भी लगा सकते हैं। स्ट्रांग रूम पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के प्रभार में चौबीसों घंटे पहरा होता है। इसमें केंद्रीय पुलिस बलों की भी तैनाती होती है।

एक बार सील होने के बाद स्ट्रांग रूम को केवल एक निश्चित तिथि और समय पर ही खोला जाता है। वो तब जब मशीनों को मतदान केंद्रों पर पहुंचाने के लिए सौंपना होता है। सभी उम्मीदवारों और उनके चुनाव एजेंटों को स्ट्रांग रूम खुलने की तारीख और समय के बारे में पहले ही बता दिया जाता है। जिससे उनकी उपस्थिति सुनिश्चित हो सके।

मतदान केंद्रों को ईवीएम आवंटित होने के अलावा, कुछ आरक्षित ईवीएम को भी स्ट्रांग रूम से लिया जाता है और विधानसभा क्षेत्र में एक केंद्रीय स्थान पर एकत्रित किया जाता है। इसे किसी ईवीएम के खराब होने की स्थिति में कम से कम समय में प्रयोग में लाया जाता है।

वहीं वोटिंग खत्म होने के बाद ईवीएम को स्ट्रांग रूम में भेजने से पहले पीठासीन अधिकारी मशीनों में दर्ज मतों का लेखा-जोखा तैयार करता है। इसकी एक सत्यापित प्रति प्रत्येक उम्मीदवार के मतदान एजेंट को सौंपी जाती है। इसके बाद EVM को सील कर दिया जाता है। उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि मतदान केंद्र से स्ट्रांग रूम तक ईवीएम ले जाने वाले वाहनों के पीछे जाते हैं, जो कि मतगणना केंद्र के करीब होती है।

वहीं इस प्रक्रिया में रिजर्व में रखी गई ईवीएम को भी इसी के साथ लौटाना होता है। प्रयोग में लाई गई सभी ईवीएम के एक जगह आने के बाद, स्ट्रांग रूम को सील कर दिया जाता है। उम्मीदवार या दलों के प्रतिनिधियों को चौबीसों घंटे स्ट्रॉन्ग रूम पर नजर रखने की भी छूट होती है।

स्ट्रॉन्ग रूम सील होने के बाद नतीजों के दिन ही खुलते हैं: इस प्रक्रिया में खास बात यह है कि एक बार स्ट्रॉन्ग रूम सील होने के बाद उसी दिन ही खुल सकता है जिस दिन मतगणना होती है। इसके बाद भी अगर किन्ही अपरिहार्य कारणों से स्ट्रांग रूम को खोलना पड़े तो इस दौरान उम्मीदरवार या उसके प्रतिनिधि की उपस्थिति होनी जरूरी है।

नतीजों से पहले मशीन नंबर और सील की जांच: स्ट्रॉन्ग रूम की निगरानी के लिए सुरक्षा बलों को केंद्र के चारों तरफ तीन परतों में तैनात किया जाता है। जिसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आंतरिक घेरे की रखवाली करते हैं। वहीं नतीजों के दिन उम्मीदवार या उसके पोलिंग एजेंट द्वारा ईवीएम की जांच करने के बाद ही मतगणना शुरू होती है। इस दौरान मशीन नंबर और सील की जांच होती है।