पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली 10 विधानसभा सीटों के 39 निगम वार्डों पर बहुकोणीय मुकाबले के आसार हैं। दिल्ली के अन्य इलाकों से विपरीत यहां के कई वार्डों पर मुख्य तीन दलों के अलावा निर्दलीय और बसपा प्रत्याशी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि गुटबाजी की शिकार भाजपा के प्रत्याशियों को भले ही मोदी लहर से फायदा मिलने के आसार हैं, लेकिन पार्टी से रूठे नेता अब दूसरों को जिताने से ज्यादा अपने प्रत्याशी को हराने की कोशिश में जुटे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के दिग्गजों का भाजपा में जाने का असर उसके समर्थकों पर पड़ रहा है। वहीं कांग्रेस समर्थकों के गिरते मनोबल का फायदा उठाने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं ने सेंधमारी शुरू कर दी है। आप के अलावा बसपा, भाजपा के बागी और निर्दलीय भी साम, दाम, दंड भेद की रणनीति अपनाकर पशोपेश में फंसे कांग्रेस समर्थकों पर डोरे डाल रहे हैं। पटपड़गंज और अबुल फजल एन्क्लेव वार्डों पर भाजपा प्रत्याशियों का पर्चा रद्द हो गया है। भाजपा ने वहां निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन देने का एलान किया है। पटपड़गंज विधानसभा सीट के तहत आने वाले 4 वार्डों पर पकड़ मजबूत करने की कमान खुद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने संभाल रखी है। यहां प्रत्याशियों के समर्थन में उन्होंने कई बार रोड शो भी किए हैं। हालांकि गांधीनगर विधानसभा सीट के तहत आने वाले 3 वार्ड इस बार कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए चुनौती साबित होंगे। यहां पर प्रभाव रखने वाले कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली अब भाजपा का दामन थाम चुके हैं। पिछले निगम चुनावों में यहां 4 वार्ड थे, जिनमें से 3 पर भाजपा जीती थी। इसी तरह कृष्णानगर विधानसभा सीट के 4 वार्डों की जीत से भाजपा नेता डॉ हर्षवर्धन की साख जुड़ी है। 2012 में भाजपा ने 2 सीटें जीती थीं।
पूर्वी दिल्ली के 39 वार्डों में कहीं भी स्थानीय मुद्दों को लेकर न तो प्रत्याशियों ने प्रचार किया है और न ही प्रचार के दौरान स्थानीय समस्याओं पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए हैं। भाजपा और आप दोनों ही दलों के प्रत्याशियों ने अपने दलों के नेताओं के चेहरे पर समर्थन मांगा है, जबकि कांग्रेस, बसपा, भाजपा के बागी और निर्दलीय प्रत्याशियों ने खुद के नाम और पुराने कार्यों के आधार पर समर्थन मांगा है। हालांकि साफ-सफाई की कमी, इलाके की ज्यादातर अवैध कालोनियों में निर्माण को लेकर निवर्तमान पार्षद पर उगाही जैसे आरोप आदि समस्याएं बताई गई हैं, जिन्हें हल कराने का दावा चुनावी मैदान में उतरे ज्यादातर प्रत्याशियों ने किया है।त्रिलोकपुरी विधानसभा सीट पर भाजपा की बागी व निवर्तमान पार्षद, भाजपा, आप और बसपा प्रत्याशी के बीच कड़ी टक्कर है। इस वार्ड में करीब 40-50 फीसद पूर्वांचली मतदाता हैं। कोंडली वार्ड पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस, भाजपा, आप और बसपा के बीच है। त्रिलोकपुरी वार्ड पर कांग्रेस, भाजपा, बसपा और निर्दलीय के बीच मुकाबला है। जंगपुरा विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और आप के बीच माना जा रहा है। हालांकि यहां पर स्वराज इंडिया के भी काफी समर्थक हैं। यहां के भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में मनोज तिवारी ने जनसभा भी की थी। नजदीकी मुकाबला होने के चलते हार-जीत का अंतर 800-1000 रहने की संभावना है। सिद्धार्थनगर वार्ड पर पूर्वांचली मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है, जबकि लाजपत नगर वार्ड पर पंजाबी मतदाताओं की संख्या अधिक है। यहां भी मुख्य मुकाबला भाजपा, आप और कांग्रेस के बीच है।
पटपड़गंज विधानसभा सीट के मंडावली व पटपड़गंज वार्डों पर आप और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है। यही स्थिति लक्ष्मीनगर इलाके के पांडव नगर वार्ड पर भी बताई जा रही है। इन दोनों वार्डों पर कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी मुकाबले की दौड़ से बाहर बताए जा रहे हैं। शाहदरा विधानसभा सीट के चारों वार्ड दिलशाद कालोनी, विवेक विहार, झिलमिल और शाहदरा पर भाजपा, आप व कांग्रेस के अलावा बागी व निर्दलीय भी कड़े मुकाबले में हैं। वहीं विश्वासनगर विधानसभा सीट के विश्वासनगर, आनंद विहार, आइपी एक्सटेंशन और प्रीत विहार में निर्दलीय प्रत्याशी तीनों बड़े दलों को बराबर की टक्कर दे रहे हैं।