देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना इस बार जरूरी है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी वही राज्य है जहां से बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। इसी वजह से इस बार समाजवादी पार्टी को यहां पर और अच्छा प्रदर्शन करना है, इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी के लिए धर्मेंद्र यादव भी काफी मायने रखने वाले हैं।
पूर्व सीएम और स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम यादव के बेटे धर्मेंद्र यादव का जन्म 3 फरवरी 1979 को हुआ था। सैफई से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री भी हासिल की। अब क्योंकि उनके परिवार के ज्यादातर सदस्य राजनीति में सक्रिय थे, ऐसे में बचपन से ही धर्मेंद्र यादव को भी इसी क्षेत्र में दिलचस्पी आ गई थी। साल 2003 में सैफई में समाजवादी पार्टी के ब्लॉक प्रेसिडेंट खुद धर्मेंद्र बनाए गए थे। इसके बाद साल 2004 के लोकसभा चुनाव में धर्मेंद्र यादव की जिंदगी में टर्निंग पॉइंट आया।
ये वो समय था जब मुलायम सिंह यादव ने सीएम बनने के लिए मैनपुरी सीट छोड़ दी थी और धर्मेंद्र यादव को वहां से उतार दिया। उस समय धर्मेंद्र की उम्र सिर्फ 25 साल थी और उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के अशोक शाक्य को 1.7 लाख वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी धर्मेंद्र यादव ने अपनी जीत को कायम रखा और बदायूं सीट से वे विजयी रहे। इसके बाद जब 2014 में मोदी लहर ने यूपी में कई सीटों को बीजेपी की झोली में डाल दिया था, तब भी धर्मेंद्र यादव ने अपनी सीट बचाए रखी और बीजेपी के वगिश पाठक को बड़े अंतर से हरा दिया। लेकिन जीत की हैट्रिक लगाने के बाद 2019 में धर्मेंद्र बीजेपी के निरहुआ से हार गए।
उस चुनाव में आजमगढ़ सीट पर दोनों के बीच में कांटे का मुकाबला था, लेकिन तब मोदी लहर की वजह से निरहुआ ने वो सीट अपने नाम कर ली। इसके बाद 2022 में जब उपचुनाव हुए, तब भी आजमगढ़ में बीजेपी के निरहुआ ने जीत हासिल की, लेकिन इस बार जीत का मार्जिन महज 8000 रह गया। अब एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट से ही धर्मेंद्र यादव अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं और उनके विरोध में एक बार फिर भाजपा के निरहुआ खड़े हुए हैं।