नगर निगम फतह करने की लड़ाई में दक्षिण दिल्ली के कई सीटों पर मुकाबला उम्मीदवार और पार्टी से ऊपर उठ चुका है। बदरपुर, कालकाजी, तुगलकाबाद और संगम विहार विधानसभा की सीटों पर चुनाव भाजपा और कांग्रेस के उन दिग्गजों के बूते लड़ा जा रहा है जो आप की आंधी में पिछला चुनाव हार चुके हैं। दक्षिण दिल्ली लोकसभा के दस विधानसभा में कम से कम एक दर्जन निगम की सीटें ऐसी हैं, जहां पार्टी और उम्मीदवार से ज्यादा उनको लड़ाने वाले तुरुप के पत्ते साबित हो रहे हैं। यहां के सारे विधायक आप के हैं लेकिन चुनावी बिसात में वे भाजपा व कांग्रेस के पूर्व विधायकों के आगे बौने साबित हो रहे हैं। बदरपुर विधानसभा के पांच वार्डों में लड़ाई भाजपा के पूर्व विधायक रामबीर सिंह बिधुड़ी और कालकाजी के तीन वार्डों में लड़ाई पूर्व विधायक सुभाष चोपड़ा के नाम पर लड़ी जा रही है। उसी प्रकार संगम विहार में चुनाव सज्जन कुमार और चौधरी वीर सिंह के नाम पर हो रहा है। तुगलकाबाद में खुद भाजपा सांसद रमेश बिधुड़ी की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां आप के विधायक सही राम की बिसात सांसद की चौकड़ी पर भारी पड़ रही है। उधर, संगम विहार के आप विधायक दिनेश मोहनिया और बदरपुर के विधायक नारायण दत्त शर्मा अपने उम्मीदवारों के लिए खेवनहार साबित नहीं हो पा रहे हैं।
बदरपुर के आंकड़े साक्षी हैं कि यहां हर चुनाव भाजपा के रामबीर सिंह बिधुड़ी और कांग्रेस के रामसिंह नेताजी के बीच लड़ा जाता रहा है। वर्ष 2012 के निगम चुनाव में यहां के पांचों वार्डों में रामबीर सिंह बिधुड़ी ने टिकट तय किए थे। पांचों सीटों पर बिधुड़ी ने न केवल विजय दिलाई, बल्कि निगम के मेयर के चुनाव में भी मुख्य भूमिका निभाई। कमोबेश यही स्थिति इस चुनाव में भी यहां दिख रही है। भाजपा से यहां के सभी वार्डों के उम्मीदवारों के साथ बिधुड़ी पदयात्रा कर रहे हैं। इतना ही नहीं यहां चल रही पदयात्राओं में रामबीर सिंह के विकास कार्यों के पर्चे बांटे जा रहे हैं। ‘बिधुड़ी फैक्टर’ उन्हें लाभ दिला रहा है। दूसरी ओर, कांग्रेसी खेमा वहां मची भगदड़ से सुस्त है। रामसिंह नेताजी उम्मीदवारों को जरूरी बढ़त नहीं दिला पा रहे हैं। इससे पहले के विधायकी और निगम के चुनाव यहां से कांग्रेस हार चुकी है। यहां के एक वार्ड को छोड़ दें तो सभी पर भाजपा के उम्मीदवार अपने प्रतिद्वद्वियों पर भारी हैं।
कालकाजी में निगम चुनाव पूर्व विधायक सुभाष चोपड़ा के रसूख पर लड़ा जा रहा है। यहां के तीनों वार्ड गोंविदपुरी, कालकाजी और श्रीनिवास पुरी के कांग्रेसी उम्मीदवार क्रम से चंद्र प्रकाश, नरिंदर कौर और इंदू बेहतर स्थित में हैं। चंद्र प्रकाश भाजपा से कांग्रेस में आए हैं जबकि नरिंदर कौर, पूर्व पार्षद खरविंदर सिंह कैप्टन की पत्नी हैं। दोनों निवर्तमान पार्षद हैं। भाजपा का किसी भी पार्षद को इस बार चुनाव न लड़ाने का जो फैसला किया था उसका खामियाजा गोंविदपुरी सीट पर उसे चुकाना पड़ सकता है। यहां के भाजपा के बागी को कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। चंद्र प्रकाश की जनता में पकड़ और सुभाष चोपड़ा की छवि उन्हें फायदा मिल रहा है।
दक्षिण दिल्ली का संगम विहार विधानसभा का वार्ड नंबर 85 में चुनाव विधायक दिनेश मोहनिया बनाम वीर सिंह लड़ा जा रहा है। यहां के कांग्रेसी उम्मीदवार आजाद बिधुड़ी के पक्ष में पूर्व सांसद सज्जन कुमार ने सभा कर हवा का रुख मोड़ दिया है। मोहनिया पर अवैध निर्मण के आरोप हैं। उनके संगम विहार के नव निर्मित मकान की ऊपरी मंजिल पर चले निगम के हथौड़े की चर्चा का जिन्न चुनाव में बाहर है। इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। यहां भाजपा ने अपनी घोषित नीति के तहत निर्वमान पार्षद को टिकट नहीं दिया है। पार्टी यहां भितरघात का सामना कर रही है। तुगलकाबाद विधानसभा लड़ाई निगम से ज्यादा मूंछ की हो गई है। यहां से विधायक रहे रमेश बिधुड़ी मौजूदा समय में भाजपा के सांसद हैं। रमेश बिधुड़ी के सांसद बनने के बाद उनकी खाली सीट पर हुए चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में भी यहां भगवा कटघड़े में हैं। साथ ही तुगलकाबाद में पार्टी भितरघात की चपेट में है। यहां के तीन वार्डों में से दो पर भाजपा के पार्षद थे। उनको टिकट नहीं मिला है। यहां बसपा छोड़कर आप के विधायक बने सही राम जमीनी कार्यकर्ता रहे हैं। यहां के तीनों वार्डों पर भाजपा सांसद की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां सांसद बनाम विधायक की लड़ाई है जिसे पार पाना सांसद बिधुड़ी के लिए आसान नहीं है।

