राजौरी गार्डन उपचुनाव में मिली हार ने दिल्ली में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी (आप) के सर्वेसर्वा और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को धैर्य खोने पर मजबूर कर दिया है। फिलहाल वे विधानसभा चुनाव के दौरान बिजली हाफ-पानी माफ करने जैसे नए मुद्दे की तलाश में जुटे हैं। हालांकि इस चक्कर में वे अपने ही जाल में फंसते जा रहे हैं और लोगों को उनकी दिल्ली की प्रशासनिक समझ पर सवाल उठाने का मौका मिल गया है। सबसे पहले उन्होंने निगम की सत्ता में आने पर पूरी दिल्ली में गृह कर खत्म करने की घोषणा की। केजरीवाल को पता ही नहीं कि दिल्ली के ज्यादातर निवासी गृह कर देते ही नहीं हैं और जो देते हैं उनमें कम ही लोग मतदान करने जाते हैं और जो जाते भी हैं उनमें से बहुत कम लोग आप को वोट देते हैं। इसके बाद वे निगम कर्मचारियों को नियमित करने और समय पर वेतन देने जैसे वादे भी करते रहे, लेकिन अब अवैध रूप से बनी इमारतों को बिना जुर्माना नियमित करने का वादा करके उन्होंने सभी को चौंका दिया है।
दिल्ली में 70 फीसद अवैध निर्माण है। हालत यह है कि न तो उसे तोड़ना आसान है और न नियमित करना। दो साल पहले केजरीवाल की पार्टी ने भारी बहुमत से विधानसभा चुनाव जीत कर रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन किसी ने सोचा भी नहीं था कि लोगों का इतनी जल्दी इस पार्टी से मोहभंग हो जाएगा। पंजाब विधानसभा चुनाव हारने और वोटों के औसत में अकाली दल से भी पीछे रह जाने का केजरीवाल को कैसा सदमा लगा है, यह उसके बाद के उनके बयानों से साफ दिख रहा है। रही-सही कसर पूर्व सीएजी वीके शुंगलू की कमेटी की रिपोर्ट ने पूरी कर दी। इन सब से परेशान केजरीवाल ने बिना जाने-समझे निगम की सत्ता में आने पर गृह कर माफ करने का एलान कर दिया। विधानसभा चुनाव में बिजली-पानी माफ करने का एलान इसलिए कारगर रहा क्योंकि तब की शीला दीक्षित सरकार इसमें कोई छूट देने को तैयार नहीं थी। तब जल बोर्ड को अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए उसी तरह दिल्ली सरकार से पैसे लेने पड़ते थे जिस तरह आज तक डीटीसी को लेने पड़ते हैं। केजरीवाल ने करीब 1700 करोड़ रुपए की सबसिडी देकर हर महीने बीस हजार लीटर पानी मुफ्त और 400 यूनिट बिजली हर महीने इस्तेमाल करने वालों का बिजली बिल आधा किया था। इससे सरकारी कामों पर असर पड़ा, लेकिन लोगों ने आप को रिकॉर्ड वोट दिए। लोगों को लगा कि इन दो वादों की तरह ही चुनाव में किए गए बाकी 68 वादे भी पूरे होंगे, जिनके न पूरे होने पर लोगों की नाराजगी बढ़ी।
विधानसभा चुनाव में जिन अनधिकृत कालोनियों, झुग्गी बस्तियों और गरीब इलाकों के वोट आप को मिले, वे पहले कांग्रेस को मिलते थे। इन वोटों को पक्का करने के लिए ही आप ने अनधिकृत कालोनियों को नियमित करने की घोषणा की। हालांकि यह घोषणा भी अभी तक अमल की बाट जोह रही है। अब निगम चुनाव में लोगों को लुभाने के लिए केजरीवाल अवैध निर्माणों को अपने बूते नियमित करवाने का हवाई वादा कर रहे हैं, लेकिन लगता नहीं कि उनका यह वादा दिल्ली के लोगों के गले उतर पाएगा। इसी तरह लगातार ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर निगम चुनाव टालने की बात करके भी वह खुद को बचाने की कोशिश में लगे हैं। इससे तो यही साबित होता है कि पंजाब के बाद राजौरी गार्डन की हार ने उन्हें खासा परेशान कर दिया है।

