पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव और साल 2018 में हुए कई उप चुनावों के नतीजों ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी के लिए चिंता बढ़ा दी है। सबसे ज्यादा चुनौती उन राज्यों में है, जहां भाजपा को 2014 के लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप मिला था लेकिन 2019 में वहां संकट दिख रहा है। सबसे बड़ा संकट उत्तर प्रदेश में है क्योंकि 80 सीटों वाले इस राज्य में हालिया चार उप चुनावों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। वहां सपा और बसपा लंबे समय बाद एकजुट हुई हैं। यूपी के अलावा झारखंड, महाराष्ट्र और गुजरात में भी स्थिति अच्छी नहीं है। बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनावों में इन चार राज्यों की कुल 168 सीटों में से 132 पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी यानी भाजपा ने करीब 80 फीसदी सीटें जीती थीं लेकिन लगभग पांच साल बाद अब हालात बदले-बदले से हैं।
उत्तर प्रदेश: कहा जाता है कि केंद्र की सत्ता यूपी से होकर ही गुजरती है। साल 2014 में भाजपा ने यहां बेहतरीन प्रदर्शन किया था। कुल 80 सीटों में से 71 पर जीत दर्ज की थी। 2017 के विधान सभा चुनावों में भी राज्य में भाजपा ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए प्रचंड बहुमत हासिल किया था लेकिन उप चुनावों में हुई हार के बाद यहां भाजपा की सीटें अब कम हो गई हैं। पिछले साल गोरखपुर, फुलपुर और कैराना संसदीय सीटों पर उप चुनाव हुए लेकिन किसी पर भी भाजपा जीत नहीं सकी, जबकि इन सीटों पर भाजपा का ही कब्जा था। गोरखपुर सीट पर तो भाजपा 1989 से लगातार जीतती रही थी लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ का गढ़ होने के बावजूद वहां हार का सामना करना पड़ा। नूरपुर विधान सभा सीट पर उप चुनाव में भी भाजपा की हार हुई। यह स्थिति तब है जब अमित शाह ने संयुक्त विपक्ष की चुनौती को कमजोर करने के लिए राज्य में 50 फीसदी वोट प्रतिशत हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
झारखंड: भाजपा के लिए दूसरी बड़ी चुनौती झारखंड में है। वहां इस साल तीन उप चुनाव हुए और सभी में भाजपा की हार हुई। गोमिया, सिल्ली और कोलिबिरा विधान सभा उप चुनावों में पहले दो सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा और तीसरे पर कांग्रेस की जीत हुई है। भाजपा की इस हार ने राज्य के सीएम रघुबर दास के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बता दें कि साल 2014 के विधान सभा चुनावों में भाजपा ने कुल 81 सीटों में से 43 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रचा था। लोकसभा की कुल 14 सीटों में से 12 पर जीत दर्ज की थी लेकिन उसके बाद कुल सात उप चुनाव हुए, एक सीट को छोड़ सभी पर भाजपा की हार हुई है। हालांकि, इस क्रम में झामुमो (3) और कांग्रेस (3) पहले से मजबूत होती चली गई।
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में भी भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं है। वहां सहयोगी शिव सेना उसके लिए मुश्किलें खड़ी करती रही हैं। हालिया तीन सीटों पर हुए उप चुनावों में दो सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी केवल पालघर लोकसभा सीट बचाने में कारगर रही। भंडारा गोंदिया लोकसभा सीट एनसीपी ने छीन ली। भाजपा सांसद नाना पटोले ने मोदी सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए पार्टी और संसद से इस्तीफा दे दिया था। इसके चलते यह सीट खाली हुई थी। पलूस काडेगांव विधान सभा उप चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई थी। वहां कांग्रेस और एनसीपी के गठजोड़ से भाजपा की राह और मुश्किल हो सकती है। बता दें कि महाराष्ट्र में साल 2014 में भाजपा ने कुल 24 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था, इनमें से 23 पर जीत दर्ज की थी।
गुजरात: गुजरात में हाल ही में हुए जसदाण विधान सभा उप चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज करते हुए विधायकों की संख्या तीन डिजिट (100) में पहुंचाने में कामयाबी हासिल की है लेकिन यह कामयाबी जनमानस के बीच लोकप्रियता का ग्राफ बढ़ाकर नहीं बल्कि तिकड़मी राजनीति के सहारे हासिल की है क्योंकि जसदाण सीट पर जीत दर्ज करने वाले कुंवरजी बावलिया पहले कांग्रेस के विधायक थे। भाजपा ने उन्हें अपने साथ कर उन्हें मंत्री बना दिया। इस वजह से उन्हें इस्तीफा देकर फिर चुनाव लड़ना पड़ा जिसमें उनकी दोबारा जीत हुई। राज्य में पिछले साल हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए भाजपा को 99 सीट के आंकड़े पर रोक दिया था। भाजपा को कुल 16 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था। अभी भी अमित शाह और पीएम मोदी को वहां फोकस करना पड़ रहा है और किसी न किसी कार्यक्रम के बहाने राज्य का दौरा करना पड़ रहा है। साल 2014 में भाजपा ने गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।