कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच गठबंधन के सभी प्रयास विफल होने के बाद कांग्रेस ने सोमवार को छह सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा कर राष्ट्रीय राजधानी में लोकसभा चुनाव को और दिलचस्प बना दिया है। दिल्ली में अब त्रिकोणीय मुकाबला कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच होना तय दिख रहा है। माना जा रहा है कि उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही कांग्रेस और ‘आप’ के बीच गठबंधन की संभावना पर पूर्ण विराम लग गया है। दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन को लेकर पिछले कई महीनों से बातचीत चल रही थी।
कांग्रेस ने लोक सभा चुनाव के लिए बेहद दमदार उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं लेकिन गठबंधन की प्रतीक्षा में उम्मीदवार घोषित करने में काफी देरी हो गई है। इससे कांग्रेस उम्मीदवारों को मुकाबले में आने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। वैसे भाजपा ने भी देरी से ही उम्मीदवार तय किए हैं। पिछली बार दिल्ली की सातों सीटें भारी अंतर से भाजपा ने जीती थी। इस बार दिल्ली में मतदान 12 मई को है। नामांकन पत्र भरने की अंतिम तारीख कल यानी 23 अप्रैल है।
कांग्रेस ने जिन उम्मीदवारों की घोषणा की है उनमें दिल्ली की 15 साल मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित उत्तर-पूर्व दिल्ली से मौजूदा सांसद और दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और ‘आप’ उम्मीदवार दिलीप पांडे के मुकाबले उम्मीदवार बनी हैं। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन नई दिल्ली से, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली पूर्वी दिल्ली से, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जय प्रकाश अग्रवाल चांदनी चौक से, पूर्व सांसद महाबल मिश्र पश्चिमी दिल्ली से और दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया उत्तर पश्चिम दिल्ली आरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाए गए हैं।
सातवीं सीट यानी दक्षिण दिल्ली से ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। पहले उत्तर पश्चिम दिल्ली से राजेश लिलोठिया के बजाए दिल्ली सरकार के मंत्री राज कुमार चौहान और पश्चिमी दिल्ली से महाबल के पहले ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार का नाम था। लेकिन पार्टी ने वापस महाबल मिश्र को उम्मीदवार बनाया है। दिल्ली में प्रचंड बहुमत से सरकार में बैठी ‘आप’ के नेताओं को लगने लगा था कि अगर कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ें तो 2014 के लोकसभा चुनाव में दोनों दलों को मिले वोट इकट्ठा होकर भाजपा को पराजित कर सकता हैं। केजरीवाल और उनके पार्टी के लोगों ने अपनी दो राय बनाए रखी थी।
एक तरफ वे लगातार समझौते के प्रयास में लगे थे लेकिन सार्वजनिक रूप से ऐसा जता रहे हैं कि उन्हें समझौते की परवाह नहीं है। अगर कांग्रेस अपने बूते चुनाव लड़ने का फैसला शुरू से करती तो हर सीट पर उम्मीदवार तय करने के लिए गंभीर चयन प्रक्रिया चलती और प्रचार शुरू हो जाता। आखिरकार गठबंधन के एक पैरवीकार कपिल सिब्बल के बजाए जय प्रकाश अग्रवाल चांदनी चौक से उम्मीदवार बनाए गए हैं। वे 2009 में उत्तर-पूर्व दिल्ली से सांसद रहने से पहले चांदनी चौक से भी सांसद रहे हैं। पहले शीला दीक्षित को चांदनी चौक से उम्मीदवार बनाया जाना तय हो गया था लेकिन उन्होंने उत्तर-पूर्व दिल्ली से चुनाव लड़ना तय किया। उन्होंने दिल्ली की राजनीति की शुरुआत पूर्वी दिल्ली (तब यह सीट भी उसका एक हिस्सा थी) से 1998 में की थी। वे चुनाव हार गर्इं लेकिन विधानसभा चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बनी।
बाद में उस सीट से उनके पुत्र संदीप दीक्षित सांसद रहे। कांग्रेस के घोषित उम्मीदवारों में तीन पुराने और तीन नए नाम हैं। कांग्रेस ने उम्मीदवार तो ज्यादातर दमदार उतारे हैं लेकिन चुनाव को मुकाबले में लाने के लिए उम्मीदवारों को कम समय मिला है।