कांग्रेस पार्टी ने एक अहम बैठक की है जिसमें चर्चा दिल्ली के अध्यादेश विवाद पर की गई है। उस बैठक को लेकर बताया जा रहा है कि पार्टी ने फैसला किया है कि अध्यादेश विवाद पर केजरीवाल सरकार का समर्थन किया जा सकता है। अगर ऐसा हो जाता है तो उस स्थिति में विपक्षी एकता में आई पहली बड़ी अड़चन दूर हो जाएगी।

आप की शर्त, कांग्रेस की नाराजगी और विवाद

जानकारी के लिए बता दें कि कांग्रेस की शनिवार को एक अहम बैठक हुई थी। उसी बैठक में इस अध्यादेश विवाद पर भी चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर पार्टी आम आदमी पार्टी का समर्थन कर सकती है। वैसे ये वहीं मुद्दा है जिस वजह से विपक्षी एकता की पहली बड़ी बैठक के बाद ही बवाल देखने को मिल गया था। असल में उस बैठक के दौरान भी आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मांग कर दी थी कि सभी विपक्षी दल एकजुट होकर केंद्र के उस अध्यादेश का विरोध करें।

बैठक में क्यों हुई थी बहस?

केजरीवाल की तरफ से भी एक शर्त भी रख दी गई थी। उन्होंने साफ कर दिया था कि जब तक विपक्ष इस अध्यादेश का विरोध नहीं करेगा, उनका विपक्षी एकता वाली बैठक में शामिल होना मुश्किल रहेगा। ये बयान उनका कांग्रेस के लिए ज्यादा था क्योंकि उस बैठक में भी 11 दलों ने तो आप का समर्थन कर दिया था, सिर्फ कांग्रेस के स्टेंड पर सस्पेंस रहा। कांग्रेस को ये बात रास नहीं आ रही थी कि आम आदमी पार्टी विपक्ष के सामने एक शर्त रख रही थी। उसकी तरफ से साफ कहा गया था कि अध्यादेश मुद्दा अलग है और इस पर चर्चा बाद में भी की जा सकती है।

क्या AAP की बात मानेगी कांग्रेस?

लेकिन ये बात आम आदमी पार्टी को रास नहीं आया, इसी वजह से बैठक के तुरंत खत्म होते ही आप ने एक बयान जारी कर दिया जिसमें साफ कहा गया कि जिस बैठक में कांग्रेस रहेगी, उसमें जाना मुश्किल होगा। यानी कि विपक्षी एकता की कोशिश में पहले ही एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई। लेकिन अब शायद स्थिति को देखते हुए कांग्रेस अपने रुख में बड़ा परिवर्तन कर सकती है। माना जा रहा है कि कुछ दूसरे दल भी चाहते हैं कि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के साथ अपने इस विवाद को सुलझा ले।