छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की धुरी गाय, किसान और महिलाओं पर आ कर टिक गयी है। बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दल इन्हीं मुद्दों के सहारे अपनी चुनावी नइया पार करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। सभी वोटरों को रिझाने के लिए अपने घोषणा- पत्र में कई तरह के ऑफर दे रहे हैं। जिनका फोकस गांव-देहात पर ज्यादा है। कर्ज़-माफी से लेकर पेंशन और बिना ब्याज़ के लोन पार्टियों का सबसे बड़ा चुनावी वादा है।
कांग्रेस और बीजेपी का घोषणा- पत्र कमोवेश एक ही जैसा है। बीजेपी के घोषणा-पत्र में लघु एवं सीमांत किसानों को पेंशन, माओवादियों से छुटकारा प्रमुख रूप से रेखांकित हैं। वहीं, कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में किसानों की कर्ज-माफी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के तहत अनाज के मूल्यों का निर्धारण और शराब की बिक्री पर रोक को मुख्य रूप से शामिल किया है। बीजेपी के संकल्प पत्र और कांग्रेस के जन घोषणा- पत्र इन दोनों में कई समानताएं हैं। मसलन, दोनों ही पार्टियां धान और मक्के पर नई एमएसपी लागू करने की बात कह रही है। इसके अलावा 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को 1 हजार रुपये की मासिक पेंशन, खेती को मनरेगा (MNRGA) से जोड़ना, जमीन अधिग्रहण के बदले भारी-भरकम रकम अदा करना और स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़ी महिलाओं को विशेष आर्थिक मदद देना शामिल हैं।
यहां तक कि दोनों ही दल गाय और दूसरे जानवरों की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध नज़र आ रहे हैं। बीजेपी ने अपने घोषणा-पत्र में सभी डिविजन में गायों के लिए गऊशाला बनाने की बात कही है। साथ ही कम ब्याज़ पर पशुपालन के लिए 5 लाख रुपये तक के लोन का वादा किया है। इसके अलावा डेरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 60 फीसदी तक की सब्सिडी का ऐलान किया है। हर ज़िले में मॉडल पशु चिकित्सालय भी खोलने की बात कही गयी है। कांग्रेस ने भी गायों के संरक्षण की दिशा में पशुशाला बनाने की बात अपने घोषणा-पत्र में कही है। किसानों की फसलों को बचाने के लिए आवारा पशुओं के लिए शेड का निर्माण और सभी जिलों में अमूल मॉडल पर आधारित कॉपरेटिव सोसाइटी बनाने का वादा प्रमुख है।
बीजेपी ने अपने घोषणा-पत्र में किसानों की नाराजगी पर ख़ास तरीके से संज्ञान लिया है। उसने गांव-देहात में सड़क, बिजली और बाजार को बेहतर बनाने की बात कही है। प्रदेश में ऑर्गेनिक फॉर्मिंग को बढ़ावा देने के लिए भारी सब्सिडी देने की भी बात कही है। जो किसान फल और सब्जियों की ऑर्गेनिक विधि से खेती करते हैं उन्हें 20 लाख रुपये तक का लोन बिना ब्याज के दिया जाएगा। आदिवासियों को लुभाने के लिए ‘महुआ’ और ‘चिरौंजी’ को बढ़ावा देने की बात घोषणा-पत्र में बीजेपी ने की है।
आदिवासियों को लुभाने के लिए कांग्रेस ने भी दांव खेला है। उसने जंगल से मिलने वाले 50 उत्पादों के एमएसपी में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। तेंदू पत्ता वाले मजदूरों को प्रति बैग 4,000 रुपये दिए जाने की बात कही गयी है। दूसरी तरफ बीजेपी खेती को मनरेगा से लिंक करके लागत मूल्य कम करने की बात कह रही है। जबकि कांग्रेस इससे एक कदम आगे मनरेगा को खेती के अलावा पशुपालन से भी जोड़ने की बात कह रही है।
महिला मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियां कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं। बीजेपी 12वीं पास 18 साल की अविवाहत लड़कियों को 2 लाख रुपये देना का वादा कर रही है। महिलाओं को खुद का व्यावसाय स्थापित करने के लिए 2 लाख और स्वयं सहायता समूह चलाने के लिए 5 लाख रुपये की मदद देने का ऐलान है। इसके अलावा महिलाओं के नाम संपत्ति रजिस्ट्री करवाने पर फीस में 50 फीसदी तक की छूट दी जाएगी। वहीं, कांग्रेस ने माताओं को 500 रुपये प्रति माह, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नर्सरी टीचर के रूप में नियुक्ति, जीपीएस से लैस तिरंगा ऑटो और शहरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए सोलर-पावर वाला स्ट्रीट लाइट लगाने का वादा किया है। इसके अलावा कांग्रेस ने सभी जिलों में लड़कियों के लिए पॉलिटेक्निक और आईटीआई खोलने की बात अपने घोषणा-पत्र में कही है।