आरएलडी ने बागपत लोकसभा सीट से राजकुमार सांगवान को प्रत्याशी बनाया है। आरएलडी एनडीए गठबंधन में है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि बागपत लोकसभा से चौधरी परिवार का कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ रहा है। आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने एक मामूली कार्यकर्ता राजकुमार सांगवान को बागपत सीट से चुनाव मैदान में उतारकर सबको चौंका दिया है।

राजकुमार सांगवान पुराने कार्यकर्ता

जयंत चौधरी ने मेरठ कालेज के प्रोफेसर व वरिष्ठ नेता राजकुमार सांगवान को उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा और समर्पण को देखते हुए बागपत सीट से उम्मीदवार बनाकर पार्टी के अंदर एक नया संदेश दिया है। यूं कहें कि एक अदना कार्यकर्ता को जयंत ने फर्श से अर्श तक पहुंचा दिया है। राजकुमार सांगवान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख मेरठ कालेज में प्रोफेसर रहे हैं। राजकुमार सांगवान लोकदल के पुराने कार्यकर्ता हैं।

भाजपा व रालोद के बीच हाल ही में हुए गठबंधन के बाद भाजपा ने अपनी जीती हुई बागपत सीट लोकदल को दे दी है। राजकुमार सांगवान मेरठ के उपलेहडा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने मेरठ कालेज से एलएलबी के बाद पीएचडी की है। एक साल पहले ही वह मेरठ कालेज के हिस्ट्री विभाग से रिटायर हुए हैं। वह आरएलडी के राष्ट्रीय सचिव हैं। अब राजकुमार सांगवान को बागपत सीट पर जीत दर्ज कर चौधरी चरण सिंह की विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती है।

चौधरी चरण सिंह का बागपत से गहरा नाता

बागपत सीट से पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का गहरा नाता रहा है। चौधरी चरण सिंह 1977 में पहली बार बागपत सीट से ही जीत कर संसद में पहुंचे थे। बाद में उनकी जीत का सिलसिला जारी रहा। चौधरी चरण सिंह ने 1977 के बाद 1980 व 1984 में भी इस सीट से जीत हासिल की। चौधरी चरण सिंह की विरासत को संभालते हुए उनके बेटे चौधरी अजीत सिंह ने 1989 में पहली बार चुनाव मैदान में उतरकर विरासत पर कब्जा क़ायम रखा। इसके बाद वर्ष 1991 व 1996 में भी यहां से सांसद चुने गए। वर्ष 1988 में पहली बार भाजपा ने चौधरी चरण सिंह के किले में सेंध लगाई थी। भाजपा के सोमपाल शास्त्री ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।

अजीत सिंह लगातार जीतते रहे

अगले ही साल चौधरी अजीत सिंह ने किसान कामगर पार्टी का साथ छोड़ आरएलडी के टिकट पर बागपत सीट से सोमपाल शास्त्री को हराकर अपना दबदबा क़ायम रखा। इसके बाद चौधरी अजीत सिंह ने वर्ष 2004 व 2009 में भी बागपत सीट पर अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा। लेकिन वर्ष 2014 में भाजपा की लहर के चलते चौधरी अजीत सिंह भाजपा के सत्यपाल सिंह से चुनाव हार गए। चौधरी अजीत सिंह के बाद जयंत चौधरी ने भी बागपत सीट से 2019 के चुनाव में अपनी किस्मत आज़माई, लेकिन सत्यपाल सिंह ने जयंत को भी शिकस्त दे दी।

इन सबके बावजूद जयंत अब मंझे हुए खिलाडी बन गए हैं। उन्होंने अपनी इस परंपरागत सीट से राजकुमार सांगवान को टिकट देकर पार्टी के भीतर ही नहीं बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है। अपने इस फैसले से जयंत ने यह बताने की कोशिश की है कि आरएलडी में जमीनी और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को सम्मान मिलता है।