2003 से लेकर 2015 तक बीजेपी छत्तीसगढ़ की सत्ता में रही। उस दौरान सूबे की कमान डॉ. रमन सिंह के हाथ में रही। लेकिन 2018 के चुनाव में मिली शिकस्त के बाद रमन सिंह का कद पहले जैसा नहीं रहा। उनको भावी सीएम के तौर पर बीजेपी पेश नहीं कर रही है। लेकिन हाल फिलहाल बीजेपी के पास दूसरा कोई ऐसा नेता नहीं है जिसके सहारे वो चुनावी वैतरणी को पार कर सके। अलबत्ता अपने कैंपेन को धार देने के लिए पार्टी ने कुछ और चेहरों को भी सामने ला खड़ा किया है।
रमन सिंह
71 वर्षीय रमन सिंह के पास आयुर्वेदिक चिकित्सक रहे हैं। उन्होंने कॉलेज में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। फिर 1983 में पार्षद के रूप में अपना पहला चुनाव जीता। 1999 तक वो दो बार विधायक बन चुके थे। उसके बाद अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता। 2003 में जब भाजपा ने उन्हें राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए चुना तो रमन सिंह ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
रमन सिंह छत्तीसगढ़ के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री हैं। 2018 में रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा को 90 सदस्यीय सदन में सिर्फ 15 सीटें मिलीं तो उनका कद कम होना शुरू हो गया। छह बार के विधायक को अब राजनांदगांव से फिर से मैदान में उतारा गया है। उनका मुकाबला कांग्रेस के गिरीश देवांगन से होगा। वो राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष हैं। हाल ही में ईडी ने उन पर रेड की थी।
विजय बघेल
64 वर्षीय विजय बघेल पूर्व कांग्रेस नेता हैं। वो मौजूदा सीएम भूपेश बघेल के दूर के भतीजे हैं। विजय ने 2019 में दुर्ग से लोकसभा चुनाव जीता। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को 3.92 लाख वोटों से हराया था। अब उन्हें दुर्ग जिले की पाटन सीट से चौथी बार भूपेश के खिलाफ खड़ा किया गया है, जो दोनों का गृह क्षेत्र है। भूपेश उनसे एक चुनाव हार भी चुके हैं।
अरुण साओ
भाजपा की जीत की स्थिति में कई लोग साव को संभावित सीएम उम्मीदवार के रूप में देखते हैं। एक साल पहले उनको आदिवासी नेता विष्णुदेव साई की जगह राज्य भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। साव ने दूसरी मोदी लहर पर सवार होकर 2019 का चुनाव 1.41 लाख वोटों से जीता था।
साव राज्य के प्रमुख ओबीसी समुदाय साहू समाज से आते हैं। ये समाज कम से कम 51 सामान्य सीटों पर एक महत्वपूर्ण कारक है।
केदार कश्यप
नक्सल प्रभावित बस्तर के नारायणपुर जिले के 48 वर्षीय भाजपा नेता केदार कश्यप वरिष्ठ भाजपा नेता दिवंगत बलिराम कश्यप के बेटे हैं। बलिराम बस्तर से चार बार विधायक और चार बार लोकसभा सांसद बने थे। इस बार उनको बस्तर में भाजपा के हिंदुत्व चेहरे के रूप में देखा जा रहा है। इनके अलावा रेनुका सिंह और बृजमोहन अग्रवाल पर भी दांव लगा रही है। बृजमोहन सूबे के सीएम भूपेश बघेल पर खासे हमलावर रहते हैं। जबकि रेनुका सिंह आदिवासी चेहरा होने के साथ केंद्रीय राज्य मंत्री भी हैं। उनको बीजेपी आदिवासियों को भरमाने के लिए आगे कर रही है।