रुपाली गांगुली ने बीजेपी का दामन थाम लिया है, टीवी सीरियल अनुपमा में काम कर लोकप्रियता हासिल करने वालीं अब देश की सबसे बड़ी पार्टी की तरफ से बैटिंग करने जा रही हैं। चुनाव लड़ेंगी, ऐसा तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन बीजेपी के साथ उनका जुड़ना ही उनकी लाइफ का एक बड़ा टर्निंट प्वाइंट बन सकता है। समझने वाली बात ये है कि चुनाव दर चुनाव ये ट्रेंड और मजबूत हो चुका है कि बॉलीवुड सेलेब्स ने पॉलिटिकल पार्टियों को हमेशा आकर्षित किया है।
बीजेपी ने आगामी लोकसभा में फिर सबसे ज्यादा बॉलीवुड सेलेब्स को चुनावी मैदान में उतारने का काम किया है। अभी तक जो प्रत्याशी सामने आए हैं, उनमें 9 बॉलीवुड-टीवी सेलेब्स शामिल हैं। दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल की पार्टी टीएमसी है जिसने अभी तक 6 सेलेब्स को मौका दिया है। कांग्रेस ने भी गुरुग्राम से राज बब्बर को उतार रखा है।
बॉलीवुड स्टार | पार्टी | सीट |
कंगना रनौत | बीजेपी | मंडी |
अरुण गोविल | बीजेपी | मेरठ |
मनोज तिवारी | बीजेपी | उत्तर-पूर्वी दिल्ली</td> |
रवि किशन | बीजेपी | गोरखपुर |
स्मृति ईरानी | बीजेपी | अमेठी |
हेमा मालिनी | बीजेपी | मथुरा |
दिनेश यादव निरहुआ | बीजेपी | आजमगढ़ |
लॉकेट चटर्जी | बीजेपी | हुगली |
सुरेश गोपी | बीजेपी | त्रिशूर |
शत्रुघ्न सिन्हा | टीएमसी | आसनसोल |
सायोनी घोष | टीएमसी | जादवपुर |
जून मोलिया | टीएमसी | मेदिनीपुर |
दीपक अधिकारी | टीएमसी | घाटल |
शताब्दी रॉय | टीएमसी | बीरभूम |
रचना बनर्जी | टीएमसी | हुगली |
राज बब्बर | कांग्रेस | गुरुग्राम |
सवाल पूछे नहीं, बहस में शामिल हुए नहीं
अब इस बार इतने सेलेब्स को चुनावी मैदान में उतार दिया गया है, सवाल पूछना जरूरी है- आखिर ये बॉलीवुड वाले जनता की कितनी सेवा कर पाते हैं? फिल्मी दुनिया में बिजी रहने वाले ये कलाकार क्या जनता की आवाज संसद में उठा भी पाते हैं? अब इन सवालों का जवाब कुछ रिपोर्ट्स में छिपा है, कुछ आंकड़ों में भी छिपा है। अगर पिछले बॉलीवुड सांसदों की परफॉर्मेंस का विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि सनी देओल ने काफी खराब काम किया। उन पर तो वैसे भी आरोप लगते रहे हैं कि वे अपने संसदीय क्षेत्र गुरदासपुर में गए तक नहीं। उससे भी ज्यादा निराशाजनक उनका प्रदर्शन देश की संसद में देखने को मिला।
सनी देओल ने पिछले पांच सालों में सिर्फ चार सवाल पूछने का काम किया। इसके ऊपर जब देश में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव हुआ, सनी ने वोट करना भी जरूरी नहीं समझा। इसी तरह कांग्रेस सांसद और मशहूर गायक मोहम्मद सादिक ने पिछले पांच सालों में सिर्फ दो सवाल पूछने का कष्ट किया, ज्यादातर समय वे भी लोकसभा से नदारद दिखे। सभी को फिल्मों में खामोश करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा लोकसभा में पिछले पांच सालों से खामोश ही चल रहे हैं, एक भी सवाल उनकी तरफ से नहीं पूछा गया, एक भी बहस में हिस्सा लेने की उन्होंने जहमत नहीं दिखाई।
एक बार फिर चुनावी मैदान में मथुरा से खड़ी हुईं बीजेपी की हेमा मालिनी भी लोकसभा से काफी कम बार दिखाई दीं हैं। मथुरा में यमुना का पानी मैला होता गया, लेकिन सांसद की तरफ से एक सवाल लोकसभा में नहीं पूछा गया। बहस में भी वे ना के बराबर ही शामिल हुईं। इस बार किरण खेर का टिकट भी बीजेपी ने काट दिया है, लेकिन ये ज्यादा हैरान नहीं करता है क्योंकि बतौर सांसद उनका प्रदर्शन भी काफी खराब माना जाएगा। पिछले पांच सालों में खेर ने एक भी लोकसभा बहस में हिस्सा नहीं लिया, ऐसे में सवाल पूछना तो दूर की बात है।
सनी देओल ने कितना एमपी फंड इस्तेमाल किया?
बंगाली सिनेमा की दो सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियां नुसरत जहां और मिमी चक्रवर्ती ने भी लोकसभा में कोई खास प्रदर्शन नहीं किया। जनता के सवाल पूछने की जब बारी आई, दोनों काफी लचर दिखीं। लोकसभा में दोनों की उपस्थिति 25 फीसदी के आसपास रही। बीजेपी के ही हंसराज हंस 2020 के बाद से सिर्फ 4 सवाल पूछने की जहमत उठा पाए, बहस में भी ना के बराबर शामिल हुए।
वैसे कुछ अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेलेब्स भी शामिल हैं। बीजेपी की लॉकेट चटर्जी ने 43 बहसों में हिस्सा लिया और 295 सवाल भी पूछे। सात सत्रों में उनकी उपस्थिति भी 100 फीसदी रही, यानी कि उन्हें इस मामले में फुल मार्क दिए जा सकते हैं। वैसे सवाल पूछने के मामले में रवि किशन ने भी अच्छा काम किया है, उन्होंने कुल 480 सवाल पूछे। इसी तरह मनोज तिवारी भी संसद के हर सत्र में मौजूद रहे और समय-समय पर उनके सवाल भी सुनने को मिल गए।
अब उपस्थिति के मामले में तो कई सेलेब्स पीछे दिखे ही, बात जब एमपी फंड के इस्तेमाल की आती है, तब हकीकत और अच्छे से समझी जा सकती है। सनी देओल को लेकर तो दो साल पहले एक ऐसा आंकड़ा सामने आया जिसने बीजेपी के चयन पर ही सवाल उठा दिए थे। असल में सनी देओल ने अपने एमपी फंड का सिर्फ सात करोड़ खर्च किया। कुछ दूसरे ऐसे सेलेब्स भी सामने आए हैं जो जरूरी फंड भी जनता के लिए इस्तेमाल नहीं कर पाए। यानी कि चेहरे के दम पर चुनाव जरूर जीता गया, लेकिन बाद में फिर फिल्मों में ही उनकी ज्यादा सक्रियता रही और अपने क्षेत्र से वे नदारद दिखे।