Lok Sabha Election 2019: आगामी लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल की 42 में से कम से कम 23 सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ मैदान में उतरने वाली भाजपा को अबकी योग्य और जिताऊ उम्मीदवारों की कमी से जूझना पड़ रहा है। फिलहाल पार्टी को ऐसे उम्मीदवारों की तलाश है जो उनको कांटे के मुकाबले वाली सीटों पर जीत दिला सकें। प्रदेश नेतृत्व ने भी ऐसे उम्मीदवारों की कमी की बात कबूल कर ली है। इसी वजह से उम्मीदवारों की सूची जारी करने के मामले में भी पार्टी सबसे पिछड़ गई है।
तृणमूल कांग्रेस तो एक सप्ताह पहले ही उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुनाव अभियान में जुट गई है। वाममोर्चा और कांग्रेस ने भी अपनी पहली सूची जारी कर दी है। लेकिन भाजपा अब तक उम्मीदवारों के चयन को लेकर भारी असमंजस के दौर से गुजर रही है। हाल में तृणमूल कांग्रेस को दो सांसदों और एक विधायक अर्जुन सिंह के अलावा कांग्रेस और माकपा के भी एक-एक विधायक पार्टी में शामिल हुए हैं और भाजपा उन सबको लोकसभा चुनाव का टिकट देने पर विचार कर रही है। इससे पार्टी के निचले स्तर के नेताओं-कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है।
तृणणूल कांग्रेस के दो निवर्तमान सांसद सौमित्र खान और अनुपम हाजरा हाल में भाजपा में शामिल हुए हैं। लेकिन उन दोनों के खिलाफ पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में तृणमूल नेतृत्व ने कार्रवाई की थी और अबकी उनका पत्ता साफ होना तय था। ऐसे में अपने राजनीतिक वजूद की रक्षा के लिए उनके सामने भाजपा का हाथ थामने के अलावा कोई चारा नहीं था। दूसरी ओर, भाजपा को भी ऐसे ही नेताओं की तलाश थी जो अपने बूते उसे सीटें न सही, कुछ वोट जरूर दिला सकें। बोलपुर से सांसद हाजरा को बीते नौ जनवरी को तृणमूल से निकाल दिया गया था।
कोलकाता से सटे उत्तर 24-परगना की भाटापाड़ा सीट से चार बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले तृणमूल कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। इलाके के जूट मिलों में काम करने वाले हिंदीभाषियों पर उनकी खासी पकड़ है। वे अबकी बैरकपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने जब वहां दिनेश त्रिवेदी को ही दोबारा मैदान में उतारने का फैसला किया तो अर्जुन सिंह ने भाजपा में शामिल होने का मन बना लिया। भाजपा उनको बैरकपुर सीट पर अपना उम्मीदवार बनाएगी।
दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को तरजीह मिलते देख पार्टी के एक गुट में भारी असंतोष है। पार्टी दलबदलुओं को इतना तरजीह क्यों दे रही है? इस पर प्रदेश नेताओं की दलील है कि टिकट उनको ही दिया जाएगा जो इसके योग्य हैं। वैसे, दिलीप घोष की दलील है कि भाजपा के लगातार बढ़ते जनाधार के कारण दूसरे राजनीतिक दलों के नेता पार्टी में शामिल हो रहे हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के मुताबिक, पार्टी में जीत सकने लायक पर्याप्त उम्मीदवार नहीं हैं। इसलिए हाल में दूसरे दलों से आने वालों को मैदान में उतारने पर विचार चल रहा है। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुकुल राय दावा करते हैंं, ‘विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद और विधायकों समेत कई नेता पार्टी में शामिल होने के इच्छुक हैं।’

