दिल्ली नगर निगम के चुनाव में सबसे ज्यादा सिर फुटव्वल भाजपा में हो रही है। कांग्रेस पीछे हैं और ‘आप’ इन दोनों पार्टियों की कमजोरी का फायदा उठाते हुए अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाने की कोशिश में है। भाजपा आलाकमान के मौजूदा पार्षदों को टिकट नहीं देने के निर्णय के अलावा कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के हिस्से रहे उम्मीदवारों को टिकट देना भी महंगा साबित हो रहा है। सीटों के हिसाब से इसका फायदा कहीं कांग्रेस तो कहीं ‘आप’ और कहीं निर्दलीय उठाने की जुगत में हैं।  निगम की 272 सीटों में भाजपा की घोषित अंतिम सूची के बाद मंगलवार को नाराजगी साफ नजर आई। सोमवार को नामांकन के आखिरी दिन छोटे नेताओं से लेकर वरिष्ठ नेताओं ने टिकट बंटवारे के खिलाफ विरोध शुरू कर दिया था। मंगलवार को इन नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। दक्षिणी निगम के महरौली, भाटी, छतरपुर, आयानगर और सैजदुल्ला में मंगलवार को विरोध के स्वर खुलकर सामने आ गए। मंगलवार को भाटी में भाजपा की उम्मीदवार महेश तंवर के खिलाफ पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हल्ला बोल दिया। महेश ईश्वर प्रधान तंवर की पत्नी हैं। बीते साल भाटी में हुए उपचुनाव में ईश्वर भाजपा से चुनाव लड़े और हार गए। इससे पहले वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से भी चुनाव लड़कर हार चुके थे। वह पहले कांग्रेस में थे। मौजूदा समय में महिला सीट होने के बाद ईश्वर की पत्नी को टिकट मिलना यहां के कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा।

आपसी खींचतान में पूर्व मंडल अध्यक्ष रहे और पार्टी के विरोध में उतरे सबसे विश्वासपात्र जनरैल तंवर, चाहत तंवर, खिलाड़ सिंह, रामवीर तंवर और मेहरचंद एक स्वर से इस बात का विरोध कर रहे हैं कि जब संगठन का काम वे 20-20 सालों से कर रहे हैं तो फिर अचानक तीन-तीन बार अलग-अलग पार्टियों से चुनाव हार चुके उम्मीदवार को भाजपा ने टिकट देकर नुकसान के अलावा और कुछ नहीं किया है। ये सभी भाजपा के मंडल अध्यक्ष से लेकर किसान मोर्चा, महामंत्री और झुग्गी झोपड़ी मोर्चा से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। इनका विरोध है कि पुराने समर्पित नेताओं को दरकिनार कर नए लोग को टिकट देना पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा। मंडल अध्यक्ष रहे जरनैल तंवर का यह भी आरोप है कि जब सांसद मनोज तिवारी की दो सभा हुईं तो इन्हें सूचना तक नहीं मिली। पार्टी में खुलकर भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि भाटी माइंस, भाटी खुर्द, फेतहपुरी बेरी, मांडी, डेरा, बाबू कॉलोनी, शांति कॉलोनी और जौहरी कॉलोनी में विरोध के स्वर दिखेंगे और पुराने कार्यकर्ता चुनाव में पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे। भाजपा के इस सीधे विरोध का फायदा कांग्रेस के मौजूदा पार्षद राजेंद्र तंवर की पुत्रबधु राधिका तंवर को मिलने की संभावना है। राजेंद्र बीते साल हुए उपचुनाव में यहां से विजयी हुए थे। वह सालों से कांग्रेस के कार्यकर्ता रहे हैं। विधानसभा चुनाव से लेकर निगम चुनाव तक हमेशा वे पार्टी में सक्रिय रहे और चुनाव लड़ते रहे। बीते साल जब यहां के भाजपा निगम पार्षद करतार तंवर ‘आप’ में शामिल होकर यहां से विधायक बने तो यहां उपचुनाव हुआ। तब यह कहा गया था कि आठ महीने के लिए कौन अपनी राजनीति दांव पर लगाएगा। वही हुआ और अब आठ महीने में ही राजेंद्र ने अपने भावी योजना को मद्देनजर रिज एरिया भाटी माइंस में भी पार्क से लेकर झूले तक लगवाने का काम किया। उन्हें पता था कि आठ महीने बाद जब उपचुनाव होता तो कांग्रेस से उम्मीदवारी तय है पर इसी बीच परिसीमन में यह सीट महिला हो गई। इस बार वह अपने पुत्र और पार्टी की युवा शाखा में सक्रिय उमेश तंवर की पत्नी राधिका तंवर को टिकट दिलाने में सफल हो गए।