आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट के जरिए पार्टी ने कई ऐसे संदेश दिए हैं जो आने वाले वक्त में भी उम्मीदवार चुनने का पैमाना तय करने वाले हैं। इस बार पार्टी ने जो 195 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है, उसमें कई ऐसे पैटर्न देखने को मिले हैं जो संख्त संदेश के साथ अच्छे काम के लिए रिवॉर्ड देने का संकेत भी देते हैं।
अब बीजेपी ने जिस लिस्ट का ऐलान किया है, उससे साफ संदेश निकलता है कि जितने भी नेताओं ने पिछले कुछ समय में विवादित बयान दिए थे या फिर जिनकी वजह से पार्टी को शर्मिंदा होना पड़ा था, उनमें से किसी को भी टिकट नहीं दिया गया है। दिल्ली की बात करें तो परवेश वर्मा, मिनाक्षी लेखी का टिकट काट दिया गया है। भोपाल से साध्वी प्रज्ञा को इस बार मौका नहीं दिया गया है। दिल्ली के ही रमेश बिधूड़ी का पत्ता इस बार काट दिया गया है। ये सारे वो नेता हैं जिन्होंने अपनी बदजुबानी से पार्टी को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है।
अगर साध्वी प्रज्ञा ने महात्मा गांधी को लेकर अपशब्द बोले हैं तो परवेश वर्मा ने दिल्ली दंगों के दौरान और बाद में कई सांप्रदायिक बयान दिए। रमेश बिधूड़ी ने तो हाल ही में संसद में दानिश अली को लेकर जिस भाषा का इस्तेमाल किया, हर कोई दंग रह गया। ऐसे में बीजेपी ने ऐसे सभी नेताओं को सख्त संदेश देने का काम कर दिया है। बीजेपी की इस चुनावी लिस्ट में एक बड़ा पैटर्न ये भी दिखता है कि कई केंद्रीय मंत्रियों को जनता के बीच भेजने का फैसला हुआ है।
पहले तो राज्यसभा के रास्ते से भी कई मंत्री बन जाते थे, लेकिन पीएम मोदी पहले ही साफ कर चुके थे कि जीवन में एक बार जरूर जनता के बीच जाकर वोट के जरिए जीतकर आना चाहिए। अब चुनावी लिस्ट में उसकी झलक भी दिख गई है। पार्टी द्वारा 34 मंत्रियों को मैदान में उतारा गया है। इसमें पोरबंदर से मनसुख मंडाविया, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया, अलवर से भूपेंद्र यादव और राजकोट से परषोत्तम रुपाला को मौका दिया गया है। यानी कि यहां भी मोदी नीति ही हावी चल रही है।
दिल्ली में इस बार बीजेपी ने एक बड़ा एक्सपेरिमेंट करते हुए पांच में से चार वर्तमान सांसदों के टिकट काट दिए हैं, सिर्फ मनोज तिवारी को फिर मौका मिला है। इसका एक कारण जानकार खराब परफॉर्मेंस मानते हैं। पीएम मोदी का साफ संदेश है कि समय-समय पर जनता के बीच में जाना जरूरी है, केंद्र की हर योजना का लाभ उन तक पहुंचे, ये देखना जरूरी है। लेकिन दिल्ली में जो भी सांसद ज्यादा अच्छा नहीं कर पाए, उन्हें फिर मौका नहीं दिया जा रहा।
वैसे एक संदेश ये भी निकला है कि बीजेपी ने जनाधार वाले नेताओं को पूरा सम्मान देने का काम किया है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से टिकट देकर ये साफ जता दिया गया है। अगर उनसे सीएम कुर्सी छिनी है तो उन्हें फिर चुनाव लड़ने का मौका मिला है। माना तो ये भी जा रहा है कि उन्हें केंद्र की राजनीति में भी मौका मिल सकता है। वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत को भी झालावाड़ से टिकट देकर पूर्व सीएम की अहमियत को जता दिया गया है।