भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई लोकसभा चुनाव से पहले उम्मीदवारों की जीत का आकलन करने के लिए सर्वेक्षण कर रही है। भाजपा यह पता कर रही है कि लोकसभा चुनाव में कौन उम्मीदवार जीत हासिल कर सकता है? जनता के बीच उसकी पकड़ है या नहीं? भाजपा का लक्ष्य राज्य में लोकसभा की कुल 42 सीटों में से 23 पर जीत दर्ज करना है। यहां एक सीट के लिए, विशेष रूप से राज्य के उत्तरी और दक्षिणी हिस्से में 60-70 से अधिक उम्मीदवार हैं जिससे टिकट बांटने को ले कर पार्टी अंदरूनी कलह का सामना कर रही है। पार्टी के अंदर के कई गुट सीट पर दावें कर रहे हैं, जिससे पार्टी की राज्य इकाई अपने 23 सीटों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने उम्मीदवारों की दमदारी का आकलन करने के लिए मजबूर हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य में 23 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।

भाजपा की राज्य इकाई के एक नेता ने कहा, ‘‘ यह अभूतपूर्व है कि हमें कुछ सीटों पर बड़ी संख्या में आवेदन मिल रहे हैं। 10 साल पहले हमें लोगों को हमारे टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए मनाने में मशक्कत करनी पड़ती थी। ’’ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पीटीआई से कहा, ‘‘ हमने उम्मीदवारों की जीत की संभावना का आकलन करने के लिए बाहरी और आंतरिक सर्वेक्षण शुरू किया है। सर्वेक्षण में सीट जीतने की उम्मीदवार की क्षमता और उसकी लोकप्रियता जैसे पहलुओं को शामिल किया जाएगा। आंतरिक सर्वेक्षण और बाहरी एजेंसियों के नतीजों के आधार पर, हम अपनी सूची तैयार करेंगे।’’

आंतरिक असंतोष के बारे में पूछे जाने पर, विजयवर्गीय ने कहा कि भाजपा एक अनुशासित पार्टी है और एक बार उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होने के बाद प्रत्येक सदस्य चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलिप घोष का कहना है कि पार्टी सभी लोकसभा सीटों पर जीतने के लिए प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “हमारे पार्टी अध्यक्ष ने 23 सीटों का लक्ष्य दिया है, लेकिन यदि सही से चुनाव होते हैं, तो हम कम से कम 26 सीटों पर जीत हासिल करेंगे।”

अपने सभी प्रयासों के बावजूद, भाजपा अभी भी राज्य में सभी मतदान केंद्रों पर बूथ समितियों का गठन करने नहीं कर पायी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सितंबर 2017 में बंगाल की यात्रा के दौरान, राज्य के 77,000 मतदान केंद्रों पर बूथ समिति के गठन की बात कही थी, लेकिन पार्टी अब तक केवल 75 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर पाई है। हालांकि, सभी प्रयासों के बावजूद सभी बूथों पर नहीं पहुंचे की अपनी असफलता के बारे में भाजपा दूसरे पर आरोप लगा रही है।

प्रदेश अध्यक्ष घोष का कहना है, “हम सभी बूथों, विशेष रूप से अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में रहने वाले लोगों तक पहुंचने में सक्षम नहीं हैं। हमारे पास एक सपोर्ट बेस है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस द्वारा झगड़े के डर से बूथ कमेटियों के लिए कोई तैयार नहीं है। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में चीजें बदलेगी।” गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा यहां केवल दो सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने 34, कांग्रेस ने चार और माकपा ने दो सीटें अपने नाम की थी।