राजस्थान में सियासी बिगुल बज चुका है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मंगलवार को महाराणा प्रताप सिंह के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ और करणी सेना के संस्थापक लोकेंद्र सिंह कालवी के पुत्र भवानी सिंह कालवी मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। नवंबर के महीने में पांच राज्यों, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने वाले हैं।
भाजपा का सियासी पैंतरा
भाजपा ने इन दोनों को शामिल कर चुनाव से पहले एक बड़ा सियासी दांव खेला है। भाजपा की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष सी पी जोशी, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह और भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी की उपस्थिति में पार्टी की सदस्यता ली। भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों नेताओं ने पार्टी की सराहना की। विश्वराज सिंह मेवाड़ ने इस बात पर जोर दिया कि लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम और दूरदर्शी नेतृत्व का समर्थन करना चाहिए। कालवी एक मशहूर पोलो खिलाड़ी भी रहे हैं, जबकि मेवाड़ के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ 1989 में चित्तौड़गढ़ से भाजपा के टिकट पर सांसद बने थे। दोनों राजपूत समुदाय से हैं।
क्या बन रहे चुनावी समीकरण?
भाजपा के इस ऐलान के बाद राजस्थान में सियासी तापमान बढ़ गया है। अटकलें हैं कि नाथद्धारा सीट महाराणा प्रताप सिंह के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ चुनाव लड़ सकते हैं। दूसरी तरफ माना जा रहा है कि भवानी कालवी को बीजेपी नागौर के डेगाना या लाडनूं से टिकट दे सकती है। भाजपा इन दोनों को शामिल कर अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
राजपूत समुदाय जो राजस्थान की आबादी का 11-12% होने का दावा करते हैं और कई सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं। राजपूत परंपरागत तौर पर भाजपा के मतदाता रहे हैं और कई सीटों पर नतीजों को प्रभावित करने के लिए जाने जाते हैं।
2018 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक समीकरण ऐसे बदले थे कि भाजपा को अपने वोट बैंक का साथ नहीं मिल सका था। जब कई कारण ऐसे पैदा हुए कि समुदाय तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ हो गया था। जिसमें गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की पुलिस मुठभेड़, दिवंगत भाजपा नेता जसवंत सिंह को दरकिनार करना और कुछ के बाद राजपूत नेताओं के खिलाफ पुलिस मामले शामिल थे।