Lok Sabha Election 2019 के लिए प्रचार-प्रसार के दौरान गुजरात के फतेहपुर से बीजेपी विधायक पर वोटर्स को धमकी देने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि विधायक रमेश कटारा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी साहब (पीएम नरेंद्र मोदी) ने पोलिंग बूथ में कैमरे लगवा रखे हैं। अगर कांग्रेस को वोट दिया तो उन्हें पता लग जाएगा। फिर आपको काम नहीं मिलेगा।
क्या बोले विधायक रमेश कटारा: न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, विधायक रमेश कटारा ने जनसभा में कहा, ‘‘आपको ईवीएम पर कमल के निशान और जसवंत सिंह भाभोर (बीजेपी प्रत्याशी) की फोटो दिखाई देगी। आपको वही बटन दबाना है। ऐसे में कोई गलती नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मोदी साहब ने इस बार कैमरे लगवा रखे हैं। कौन बीजेपी को वोट देगा और कौन कांग्रेस को वोट देता है, सब पता लगा जाएगा। आधार कार्ड सहित अन्य कार्डों पर आपकी तस्वीर है। ऐसे में अगर आपके बूथ से कम वोट मिलते हैं तो पता लगाया जाएगा कि किसने वोट नहीं दिया और फिर आपको काम नहीं मिलेगा।’’
BJP MLA from Fatehpura, Ramesh Katara: Who voted for BJP, who for Congress, it can be seen. Aadhaar Card & all cards have your photo now, if there are less votes from your booth then he will come to know who did not cast vote & then you will not get work. #Gujarat (15.04) (2/2) pic.twitter.com/JZT4azsRBD
— ANI (@ANI) April 16, 2019
सख्त है चुनाव आयोग: 2019 लोकसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग काफी सख्त नजर आ रहा है। बता दें कि बयानों के चलते ही आजम खान, मायावती, यूपी के मुखिया योगी आदित्यनाथ सहित मेनका गांधी पर कुछ वक्त के लिए प्रचार-प्रसार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
ऐसा पहला मामला नहीं: गौरतलब है कि इससे पहले गुजरात के जल आपूर्ति मंत्री कुंवरजी बावलिया का भी एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें कुछ महिलाएं उनसे पीने के पानी के लिए शिकायत करती नजर आ रही थीं। बावलिया ने जवाब दिया था – ‘क्या आप लोगों ने मुझे वोट दिया था। मेरे पास जल मंत्रालय है। अगर जरूरत पड़ी तो मैं गांव में पीने के पानी के लिए करोड़ों रुपए मंजूर कर सकता हूं, लेकिन जब मैंने चुनाव लड़ा तो मुझे सिर्फ 55 फीसदी वोट मिले थे।’
बाद में दी थी सफाई: वीडियो वायरल होने के बाद मंत्री ने सफाई देते हुए कहा था कि प्रदर्शन करने वाली महिलाएं अनपढ़ थीं और राजनीति से प्रेरित होकर ही मुझसे यह सवाल पूछा था। उन्होंने कहा- शिकायत उनके मंत्रालय की नहीं, बल्कि स्थानीय पंचायत से जुड़ी थी। गौरतलब है कि बावलिया ने पिछले साथ कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था।
