गांव-गांव नारी वंदन करने वाली भाजपा ने उन्नाव में लोकसभा टिकट देते समय महिलाओं की ओर से आंखे फेर लीं, जबकि इंडिया के मुख्य घटक समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर आई पूर्व सांसद अन्नू टंडन पर भरोसा किया है। जिससे लोग यहां यह तय नही कर पर कर पा रहे है कि भाजपा जो कह रही है, वह सही है या जो कर रही है, वह सही है।

उन्नाव के मतदाताओं की समस्या यही खत्म नहीं होती क्योंकि जनपद के आधे से ज्यादा मतदाता युवा हैं और उनके सामने कोई युवा उम्मीदवार नहीं है। कारण साफ है कि भाजपा ने उम्मीदवार के रूप यहां 68 वर्षीय निवर्तमान सांसद सच्चिदानंद साक्षी महाराज को तीसरी बार टिकट दिया है तो इंडिया गठबंधन में शरीक समाजवादी पार्टी द्वारा वर्ष 2009 में कांग्रेस क़े टिकट पर सांसद रहीं 66 वर्षीया अन्नू टंडन को टिकट दी गई है। इसके पहले वे वर्ष 2014 और 2019 में कांग्रेस उम्मीदवा रहते भाजपा के साक्षी महाराज के सामने अपनी जमानत भी गंवा चुकी हैँ। इन सबसे अलग अन्य सियासी दलों का यहां कोई फिलहाल अस्तित्व नहीं है।

हां, बीते दो लोकसभा चुनावों में सपा उम्मीदवार रहे अरुण शंकर शुक्ला उर्फ अन्ना महाराज दूसरे नंबर पर जरूर रहे थे यदि वर्ष 2024 क़े चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों के वोट एकजाई होते हैं तो आने वाले लोकसभा चुनाव में उन्नाव का चुनावी परिदृश्य काफी मनोरंजक हो सकता है।

चुनावी समझ की गहराई से अनजान उन्नाव क़े ग्रामीणों का कहना है कि गांव गांव नारी वंदन करने वाली भाजपा ने टिकट देते समय महिलाओं को बिसरा दिया तो उस पर यकीन कैसे किया जाए? दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन ने अन्नू टंडन को अपना उम्मीदवार बनाया है जो समाजसेवा की राह चलकर राजनीति में पहुंची हैं और यहां के लोगों क़े हर सुख दुख में बिना भेदभाव क़े शरीक ही नही बल्कि पीड़ितों की आर्थिक मदद भी करती रही हैं।

भाजपा सरकार ने अपनी दूसरी पारी के दौरान पुरानी संसद में ध्वनिमत से नारी वंदन बिल (महिला आरक्षण विधेयक) को कानून बनाने का काम किया। उस समय कांग्रेस समेत समूचा विपक्ष इसे बिना शर्त लागू करने की हायतौबा मचाए हुए था लेकिन चुनावी बयार शुरू होते ही सारे राजनीतिक दल अपने पुराने रंग में एक बार फिर सराबोर दिखाई पड़ रहे हैं।

यह बात अलग है कि भाजपा ने उन्नाव संसदीय सीट पर अपनी 75 साल की प्रजातंत्रात्मक व्यवस्था में महिलाओं को कभी मौका नही दिया। यहां से साल 2009 में कांग्रेस की टिकट पर पहली बार अन्नू टंडन भारी बहुमत से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं लेकिन बदले सियासी समीकरणों के कारण 2014 और 2019 में क्रमश: तीसरे और चौथे पायदान पर पहुंचने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर 2024 में लोकसभा चुनाव की सियासी लड़ाई वे साइकिल चुनाव चिन्ह को माध्यम बना कर लड़ रही हैं।