बिहार में जहां महागठबंधन में अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है, वहीं एनडीए के अंदरखाने करीब-करीब सभी सीटों पर आपसी सहमति बन चुकी है। दो-चार सीटों को छोड़ दें तो भाजपा, जेडीयू और लोजपा के अंदर करीब-करीब प्रत्याशियों के नाम पर फैसला भी अंतिम चरण में चल रहा है। बता दें कि दो मौजूदा सीट वाले जेडीयू को इस बार 15 सीटें अधिक यानी कुल 17 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करने हैं। सूत्र बता रहे हैं कि जेडीयू नेतृत्व ने भी उन 17 सीटों की पहचान कर ली है जिनपर पार्टी को लोकसभा चुनाव लड़ना है। इसके अलावा उन सीटों पर पर करीब-करीब प्रत्याशियों के नाम का भी फैसला अंतिम दौर में है। सूत्रों ने बताया कि नालंदा और पूर्णिया (मौजूदा सीटें) के अलावा जेडीयू मुंगेर, सीतामढ़ी, मधेपुरा, सुपौल, काराकाट, गोपालगंज, महाराजगंज और दरभंगा सीटों पर जेडीयू उम्मीदवार उतारने जा रही है।
इनके अलावा जिन सात सीटों पर जेडीयू ने दावा ठोका है, उनमें से अधिकांश सीटों पर पहले जेडीयू का कब्जा रह चुका है। इन सीटों में आरा, जहानाबाद, औरंगाबाद, वाल्मीकि नगर, मुजफ्फरपुर, शिवहर और झंझारपुर शामिल है। सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा और जेडीयू के बीच हुए समझौते के मुताबिक इन सीटों में से कुछ पर भाजपा अपने मौजूदा सांसद को भी जेडीयू के सिंबल पर लड़ाना चाह रही है। जेडीयू भी झंझारपुर, मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद और आरा सीट को भाजपा सांसद समेत अपनाने को तैयार है लेकिन वाल्मीकि नगर, शिवहर पर मना कर दिया है जबकि जहानाबाद पर अभी पेंच फंसा हुआ है।
चूंकि, झंझारपुर के मौजूदा भाजपा सांसद बीरेंद्र कुमार चौधरी पहले जनता परिवार से जुड़े समाजवादी और पिछड़ा वर्ग के नेता रहे हैं, इसलिए जेडीयू को उन्हें अपनाने में आपत्ति नहीं है। 2014 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा था। इसी तरह औरंगाबाद के भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह इससे पहले जेडीयू से सांसद थे लेकिन मोदी लहर में वो भाजपा में चले गए थे। मुजफ्फरपुर के भाजपा सांसद अजय निषाद के पिता दिवंगत कैप्टन जयनारायण निषाद भी जेडीयू के सांसद रहे हैं, इसलिए उनकी वापसी में भी परेशानी नहीं है। आरा से भाजपा सांसद आर के सिंह पहली बार संसद पहुंचे हैं। इससे पहले वो आईएएस अधिकारी थे। संभवत: उन्हें भी जेडीयू अपना सिंबल दे दे।
उधर, जहानाबाद सीट पर जेडीयू का दावा बरकरार है क्योंकि पहले भी इस सीट पर जेडीयू का कब्जा रह चुका है। मगर प्रत्याशी के नाम पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है क्योंकि मौजूदा सांसद अरुण कुमार ने 2014 में रालोसपा से चुनाव लड़ा था और फिलहाल महागठबंधन की तरफ उनका झुकाव हो सकता है। जेडीयू वाल्मीकि नगर सीट पर भी दावा ठोक रही है, 2009 में जेडीयू के बैद्यनाथ महतो यहां से चुनाव जीते थे। दरभंगा सीट पर दावा कीर्ति आजाद की वजह से जेडीयू ने किया है। हालांकि, सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा दरभंगा की जगह सीवान सीट सांसद (ओम प्रकाश यादव) समेत जेडीयू को देना चाहती है मगर जेडीयू ने न तो सीट और न ही सांसद में रूचि दिखाई।