बिहार खगड़िया संसदीय सीट पर स्थानीय बनाम बाहरी की जंग है। यहां तीसरे चरण में सात मई को करीबन सवा अठारह लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। सात नदियों गंगा, कमला बलान, कोशी, बूढ़ी गंडक, करेह, काली कोशी और बागमती से घिरे खगड़िया संसदीय सीट जटिलताओं से भरी है।

यहां के मतदाताओं का मिजाज जानना भी उतना ही जटिल है। लोजपा (र) के राजग प्रत्याशी राजेश वर्मा जाति से मारवाड़ी सोनार है और भागलपुर के रहने वाले हैं। ये नगर निगम के उपमहापौर रह चुके हैं। साथ ही विधानसभा का चुनाव भागलपुर से लोजपा टिकट से लड़ चुके हैं। पराजित हुए थे। खगड़िया के लोग इन्हें बाहरी मान रहे हैं। इनकी सीधी टक्कर माकपा के ‘इंडिया’ गठबंधन के संजय कुशवाहा से है और ये स्थानीय है।

मक्का की खेती का भंडार कहलाने वाले खगड़िया के लोजपा (र) के प्रत्याशी राजेश वर्मा का चुनाव निशान हेलिकाप्टर छाप है। इसलिए अपने चुनाव निशान को याद रखने के लिए शुक्रवार से घर-घर हेलिकाप्टर का खिलौना बंटवाया जा रहा है। चुनाव निशान के साथ लोजपा (र) प्रत्याशी की फोटो वाली टीशर्ट भी बांटी जा रही है।

भाजपा के क्षेत्रीय प्रभारी सत्येंद्र रंजन का दावा है कि राजग उम्मीदवार की जीत होगी। लोजपा (र) की प्रदेश उपाध्यक्षा संगीता तिवारी का भी दावा ऐसा ही है। लेकिन लोग कहते हैं कि चिराग पासवान ने टिकट बेचा है। दो दफा के जीते निवर्तमान सांसद चौधरी महबूब अली कैसर को नहीं दिया। यदि इन्हें टिकट मिलता तो इतनी जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती।

खगड़िया में लोजपा (र) उम्मीदवार राजेश वर्मा के खिलाफ कई तरह की हवा बह रही है। दूसरा निवर्तमान सांसद चौधरी महबूब अली कैसर ने टिकट न मिलने पर पार्टी से इस्तीफा देकर राजद की लालटेन थाम ली है और इन्हें राजद ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया है। इनके लिए भी यह मूंछ की लड़ाई है। तीसरा पूर्व सांसद रेणु कुशवाहा ने जद (एकी) से इस्तीफा देकर राजद की सदस्यता ले ली है।

इसके अलावे कुर्मी-कोइरी में 2020 बिहार विधानसभा में जद (एकी) की सीट सिमट कर 47 हो जाने का रोष है। इसके लिए चिराग पासवान को जिम्मेदार ठहराते हैं। कुशवाहा समाज के खगड़िया निवासी शिवलोचन कुशवाहा कहते हैं कि 2020 का चिराग से बदला लेने का यह माकूल समय है।