लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे कई नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। बिहार में सीट बंटवारे में मनमाफिक सीट न मिलने से कई नेताओं को झटका लगा है। ताजा मामला पूर्णिया सीट का है। यह सीट कांग्रेस को नहीं मिली, यह सीट राजद के हिस्से चली गई। पप्पू यादव ने कांग्रेस से टिकट पक्का कर अपनी पार्टी ‘जाप’ का कांग्रेस में विलय किया था। लेकिन राजद ने यह सीट अपने पास रख ली और सीट बंटवारे के पहले ही जद (एकी) छोड़ कर आई बीमा भारती को राजद ने अपना चुनाव चिह्न दे दिया। अब वे तीन अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करेगी। वहीं पप्पू यादव ने कहा है कि वे चार अप्रैल को पर्चा दाखिल करेंगे। उनका नारा है कि दुनिया छोड़ देंगे लेकिन पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे।
जदयू नेता भी टिकट नहीं मिलने पर आरजेडी में ली एंट्री
इसी तरह दरभंगा सीट भाजपा के कोटे में जाने से जद (एकी) से दावेदारी ठोकने वाले अली अशरफ फातमी ने पार्टी छोड़ना बेहतर सोचा। अब जद (एकी) का तीर छोड़ उन्होंने लालटेन थाम ली। सूत्रों के मुताबिक मधुबनी से उनका प्रत्याशी बनाना तय माना जा रहा है। दरभंगा से राजद के ललित यादव को चुनावी रण में उतारा जा रहा है।
लोजपा (र) ने पांचों सीट पर उम्मीदवार घोषित किए
लोजपा (र) ने बंटवारे में मिली पांचों सीट पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। नतीजन खगड़िया से चौधरी महबूब अली, नवादा से चंदन सिंह और समस्तीपुर से प्रिंस कुमार के मंसूबों पर पानी फिर गया। ये तीनों वर्तमान सांसद हैं। नवादा सीट भाजपा के हिस्से चली गई। यहां से सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर ताल ठोक रहे हैं।
समस्तीपुर क्षेत्र से शांभवी चौधरी को मिला टिकट
खगड़िया से भागलपुर के पूर्व उपमहापौर राजेश वर्मा को लोजपा (र) ने उतारा है। वहीं समस्तीपुर से शांभवी चौधरी को और वैशाली से वर्तमान सांसद वीणा देवी को लड़ाया जा रहा है। हाजीपुर से खुद चिराग अपने पिता रामविलास पासवान की विरासत संभालने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं। उन्होंने अपनी सीट जमुई को अपने जीजा अरुण भारती को सौंपी है। शांभवी जद (एकी) के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी और पूर्व आइपीएस अधिकारी किशोर कुणाल की पुत्रवधू हैं।
चिराग के चाचा पशुपति नाथ पारस ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर अपनी नाराजगी जताई थी। मगर अब मौन धारण कर राजग के सुर में सुर मिला रहे हैं। उन्हें लगता है कि कुछ ठोस मिलने का भरोसा मिला है। दो दफा से भाजपा सांसद व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को उम्मीद थी कि फिर भागलपुर या बक्सर से टिकट मिलेगा। मगर केंद्रीय नेतृत्व ने उनका पत्ता साफ कर दिया। अब बांके बिहारी के दर्शन करने पूरे परिवार के साथ वृंदावन में डेरा डाले हैं। लगता है बिहार विधानसभा चुनाव में भागलपुर से उनके बेटे अर्जित चौबे को टिकट मिलना पक्का है। 2020 के चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था। जबकि 2015 में भाजपा ने भागलपुर से उनको लड़वाया था और साठ हजार से ज्यादा मत लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे।
भागलपुर संसदीय क्षेत्र दो भाजपा नेताओं की गुटबाजी का अखाड़ा रहा है। अश्विनी चौबे और शाहनवाज हुसैन। इस बार शाहनवाज को न संसदीय चुनाव और न एमएलसी का टिकट मिला। जाहिर है केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों का इस बार पत्ता ही साफ कर दिया। हालांकि दोनों को प्रमुख प्रचारक सूची में जगह मिली है। इसी तरह भाजपा ने सासाराम से छेदी पासवान, मुजफ्फरपुर से अजय निषाद, शिवहर से रामा देवी का पत्ता साफ कर दिया है जबकि ये वर्तमान सांसद हैं।
टिकट कटने पर उन्होंने चुप्पी साध ली है। इसी तरह जद (एकी) के सीतामढ़ी से सुनील कुमार पिंटू, गया से विजय मांझी और काराकाट से महाबली सिंह (तीनों वर्तमान सांसद) का टिकट गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को उम्मीद थी कि भाजपा का बुलावा आएगा। मगर उनकी उम्मीदों पर भी पानी फिर गया।