बिहार में एनडीए को बहुमत मिल गया है। महागठबंधन को 110 सीटें ही मिल पाईं। वहीं एलजीपी को मात्र एक सीट मिली है। बिहार में इस बार 74 सीटें हासिल करके असली कमाल बीजेपी ने दिखाया है। वहीं नीतीश कुमार की सीटों में कमी आई और 43 सीटें ही जीत पाई। अन्य के खाते में कुल सात सीटें गई हैं और एलजीपी का का आज तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। कुछ ही वक्त पहले चिराग पासवान की एलजीपी ने एनडीए से किनारा कर लिया था।
पिता राम विलास पासवान के निधन के बाद चिराग पासवान के लिए यह चुनाव बड़ी चुनौती था। एलजीपी ने 137 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल एक पर ही जीत मिल पाई। यह अक्टूबर 2000 के बाद सबसे खऱाब प्रदर्शन है। हालांकि चिराग पासवान ने एक ट्वीट में कहा कि पार्टी मजबूत हुई है और इसका वोट शेयर बढ़ा है। उन्होंने बीजेपी की तारफी की और जीत की बधाई दी।
चिराग ने ट्विटर पर लिखा, ;’बिहार की जनता ने आदरणीय नरेंद्र मोदी जी पर भरोसा जताया है।जो परिणाम आए हैं उससे यह साफ़ है की भाजपा के प्रति लोगो में उत्साह है।यह प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी की जीत है।’ उन्होंने कहा, ‘सभी लोजपा प्रत्याशी बिना किसी गठबंधन के अकेले अपने दम पर शानदार चुनाव लड़े।पार्टी का वोट शेयर बढ़ा है।लोजपा इस चुनाव में बिहार1st बिहारी1st के संकल्प के साथ गई थी।पार्टी हर ज़िले में मज़बूत हुई है।इसका लाभ पार्टी को भविष्य में मिलना तय है।’
सभी लोजपा प्रत्याशी बिना किसी गठबंधन के अकेले अपने दम पर शानदार चुनाव लड़े।पार्टी का वोट शेयर बढ़ा है।लोजपा इस चुनाव में बिहार1st बिहारी1st के संकल्प के साथ गई थी।पार्टी हर ज़िले में मज़बूत हुई है।इसका लाभ पार्टी को भविष्य में मिलना तय है।
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) November 10, 2020
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बिहार में एलजीपी ने अपना काम कर दिया है। इस बार जेडीयू को बड़ा नुकसान हुआ है और पार्टी 75 से सीधे 43 पर आ गई। एलजीपी ने नीतीश कुमार को खासा नुकसान पहुंचाया है। जानकारों का यह भी कहना है कि एलजीपी का भविष्य बीजेपी के हाथों में ही है। चिराग पासवान नीतीश कुमार पर हमलावर थे और वोटों की गिनती के समय भी निशाना साधने में चूके नहीं।
बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के बाद नीतीश कुमार ही 4 चार बार लगातार शपथ लेने वाले मुख्यमंत्री होंगे। हालांकि सिंह का एक कार्यकाल आजादी से पहले राज्य के प्रधानमंत्री के रूप में भी था। हालांकि 2010 और 2020 में बहुत फर्क है। 2010 में एनडीए के खाते में 206 सीटें आई थीं जिनमें से 115 जेडीयू की थीं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि बिहार में कम सीटें आने के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे और बीजेपी अपना वादा निभाएगी।